राजा और रोहित
राजा के मन को रोहित जी
दुखाया होगा तुमने
अपनी किसी चूक से
राजा को उकसाया होगा तुमने
जिस राजघराने से रोहित जी
उलझ रहे हो तुम
वह पोप का पुजारी है
खलीफा का है दास
इसी राजा के राज में मिला
अर्नब को तलोजा जेल का तोहफा
मन हुआ राजा का तुम्हें भी
जेल का स्वाद चखाया जाए
राजा को कब लोकतंत्र का
ताना-बाना भाए
जीना है राष्ट्र के लिए तो रोहित मरना सीखो
मुगल और पोप की आँधी में
तन कर चलना सीखो
माँ भारती के लिए हम सबको मिलकर
संग्राम छेड़ना होगा
खुद को मिटाकर बन्धु
राष्ट्र का प्रण पूरा करना होगा।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून।