Saturday, July 27, 2024

करौली राजस्थान में जिहादी हरकत

सेक्युलर मुख्यमंत्री कुछ नहीं करेंगे
साभार-नेशनल वार्ता ब्यूरो
राजस्थान में करौली की गलियों में हिन्दू नव वर्ष की खुशी मेे बाइक रैली निकालना मँहगा पड़ा। शान्ति से बाइक पर निकले इस जुलूस पर दोनों ओर मकानों की छतों से पत्थरबारी की गई और कईयों के सर फोड़ दिए गए। कई लोगों का इलाज चल रहा है। पत्थरबारी इतनी सुनियोजित थी कि बाइक चला रहे हिन्दू श्रद्धालु बचतेे-बचते भी चोटिल हो गए। अभी तक किसी की धऱपकड़ नहीं हो पायी और आने वाले समय में होने वाली भी नहीं है क्योंकि जिन्होंने पत्थरबारी की है वे कांग्रेस के प्रिय वोटर हैं। जिनके लिए कांग्रेस सहित देश के तमाम दल किसी भी हद तक जाकर दुष्टीकरण करने को तैयार हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलौत का बयान जो भी सुन लेगा वह समझ जायेगा कि नव वर्ष की खुशी में बाइक जुलूस में शामिल हिन्दू दोषी हैं और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। इन्होंने सेक्युलरिज्म के खिलाफ जाकर रैली निकाली जिहादियों को गुस्सा आया और उन्होंने इनके सर पर पत्थर तोड़ डाले। एक तरफा सोच कांग्रेस की देश के लिए बहुत घातक है। सेक्युलरिज्म का मतलब तो यह होता है कि सब एक दूसरे के मददगार हों। एक दूसरे के धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बाधा न पहुँचाए। परन्तु भारत में सेक्युलरिज्म का मतलब यह हो गया कि जिहादी मानसिकता के मुसलमान कुछ भी कर गुजरें उन्हें सब माफ है। यही हो रहा है पश्चिम बंगाल में। यही हो रहा है अब महाराष्ट्र में और अब यही हो रहा है अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में। कांग्रेस की यही रीतिनीति भाजपा को छोड़कर सभी दल अपना चुके हैं। लेकिन भाजपा कम्युनल है और बाकी सब दल सेक्युलर। राज ठाकरे का यह दावा कि अगर मुम्बई में अजान के समय लाउडीस्पीकर ऑफ नहीं रखे गए यानी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो उनके लोग मस्जिदों के सामने लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पलटवार करेंगे। महाराष्ट्र में तीन दलों की खिचड़ी सरकार है जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेेस दो कथित सेक्युलर दल शामिल हैं। लिहाजा, वहाँ लाउडस्पीकर हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता परन्तु इतना अवश्य है कि वहाँ अगर अजान के समय लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा का जवाब दिया गया तो राज ठाकरे के लोगों को पिटने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि भारत सेक्युलर देश है जहाँ पाक खुदा और भगवान बुद्ध सेक्युलर हैं और राम, कृष्ण, शिव शंकर और हनुमान जी कम्युनल हैं। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून।

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