-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
महाराष्ट्र के अमरावती में जिहादियों ने दवा व्यापारी का गला काटा। यह बर्बर जिहाद उदयपुर से 7 दिन पहले हुआ। अगर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की कांग्रेसी मंत्री पुलिस कमिश्नर को मजबूर ना करती तो इस जिहादी कत्ल को सामान्य डकैती वाली हत्या साबित करने कोशिश ना की जाती। कांग्रेस की मंत्री को लगा कि अगर अमरावती का कत्ल जिहाद से जुड़ गया तो उद्धव सरकार की फजीहत होगी। उस समय उद्धव सरकार शिंदे के झटकों से हिचकोले खा रही थी। यही तो है कांग्रेस की मानसिकता। यह मानसिकता एक दिन कांग्रेस को तबाह कर देगी। कांग्रेस को दुष्टिकरण से बाज आना होगा। कांग्रेस सुधर गई तो अन्य दल भी दुष्टिकरण से परहेज करने लगेंगे। क्योंकि दुष्टिकरण के बीज बोने वाली कांग्रेस है। स्वतंत्रता मिलने से पहले ही दुष्टिकरण की खेती होने लगी थी। अब तो यह खेती भारत में लहरा रही है। जिस तरह से लैंटाना झाड़ी फसल के लिए खतरनाक होती है उसी तरह जिहादी मानसिकता देश की प्रगति के लिए खतरनाक है। अमरावती की पुलिस कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। यही नहीं कांग्रेस की पूर्व मंत्री के खिलाफ भी कदम उठाए जाने चाहिए। जिहाद की हत्याओं को भटका कर चोरी की वारदातों में शामिल करना जिहाद को बढ़ावा देना है। इस मामले में अमरावती की सांसद नवनीत राणा की प्रशंसा की जानी चाहिए। उन्होंने तुरंत देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर बर्बर हत्या कांड की एन आई ए से जाँच कराने की माँग की थी। जिसका केंद्र ने तुरंत संज्ञान भी लिया। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री ने भी इस मामले में नवनीत राणा का साथ दिया। जिसका नतीजा है कि अब जाँच सही दिशा में है। अगर 21 जून को ही सच बाहर आ जाता तो हो सकता है कन्हैया आज जीवित होता। यह गंभीर मामला है। संबन्धित पुलिस के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई जरूरी है। जिहादी हत्याओं के मामले में किसी तरह की लापरवाही देश के लिए खतरनाक है। राजनीतिक दलों को अपनी दुष्टिकरण वाली सोच से तौबा कर लेना चाहिए। देश है तो राजनीति करोगे न। देश की सुरक्षा के मामले में दुष्टिकरण जैसी हरकतें माफी के लायक नहीं।
अमरावती का जिहादी कत्ल
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