कांग्रेस के लिए अच्छे आसार नहीं
उत्तराखण्ड की अगली सरकार किसकी होगी यह ईवीएम में कैद हो चुका है। अब नतीजा (result) आना बाकी है। नतीजे के लिए 10 मार्च का इंतजार है। इस बार की होली 19 मार्च की है। किसकी होली रंगीन होगी और किसकी फीकी। किसे गुजिया का स्वाद मीठा लगेगा और किसे खट्टा-यह 10 मार्च को ही पता लगेगा। लेकिन तमाम हालातों और मतदाताओं के रूझान से ऐसा लगता है कि उत्तराखण्ड में भाजपा वापसी कर लेगी। भले ही यह वापसी धमाकेदार कदापि नहीं होने जा रही है। अनिल बलूनी एक खबरिया चैनल को बता रहे थे कि भाजपा बहुत अच्छा करने जा रही है और कांग्रेस के चुनावी सूबेदार हरीश रावत हार का स्वाद चखने जा रहे है। परन्तु इस बार उत्तराखण्ड में भाजपा की लहर नहीं थी। भाजपा मोदी के कंधों पर भरोसा करके चल रही थी। इसमें दो मत नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों को कोई भी राज्य जमीन पर उतार दे तो राज्य का नक्शा ही बदल जाए। लेकिन मतदाता बहुत अधिक उम्मीद लगाए बैठे थे भाजपा की राज्य सरकार से। राज्य स्तर पर देखें तो भाजपा करिश्मा करने में असफल रही। ऊपर से बार-बार मुख्यमंत्री का बदलना गलत संदेश दे गया। हालाँकि कांग्रेस के चुनावी सूबेदार हरीश रावत भी किसी तरह का करिश्मा करने की स्थिति में नहीं हैं। कहीं ऐसा न हो कि ये सूबेदार साहब सूबे पर अधिकार करने की ललक में अपनी ही सीट न हार बैठें। अनिल बलूनी की भविष्यवाणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भाजपा, गोवा में वापसी कर ले तो हैरतअंगेज करिश्मा ही माना जाएगा क्योंकि वहाँ झाड़ूबाजों की मुफ्त बाजी और कांग्रेस-शिवसेना की नई नवेली शादी भाजपा के लिए गड़बड़ कर सकती हैं। उत्तरप्रदेश में तो हर हाल में भाजपा 300 सीटों के आँकड़े के आस-पास पहुँच जाएगी क्योंकि मुख्यमंत्री योगी के काम वजनदार हैं। अभी यूपी में पाँच चरण के चुनाव बाकी हैं।