-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
देश के लोगों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए हिन्दू का अस्तित्व। स्पष्ट कह रहा हूँ कि हिन्दू का अस्तित्व खतरे में है। हिन्दू के अस्तित्व का हिन्दू के देश में ही खतरे में होना जिहाद की शातिर सोच का प्रमाण है। सीरिया से लेकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्की, कतर, मलेशिया और भारत जिहाद के संक्रमण का शिकार हैं। जहाँ तक भारत का प्रश्न है। भारत, भारतीयों का है। भारतीय वे हैं जो भारत माता की जय बोलने में गौरव का अनुभव करें। जो भारत माता की जय बोलने में अपना अपमान महसूस करते हैं वे देशद्रोही हैं। इसके अलावा वे लोग जो शरिया और शरियत को जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं वे सब जिहादी हैं। फिर चाहे वे अमीर मुसलमान हों या फिर पसमांदा मुसलमान। हमें इस तथ्य से सावधान रहना पड़ेगा। हमें अजमेर की दरगाह शरीफ की शराफत से भी सावधान रहना पड़ेगा। सरवर चिश्ती जो कि इस दरगाह का एक अहम् पदाधिकारी है वह अपनी जिहादी हरकतों के लिए जाना जाता है। उसकी जिहादी हरकतें अब उसके वीडिओ में सामने आने लगी हैं। इसी तरह इसी दरगाह का गौहर चिश्ती फरार है। जिसने कन्हैया लाल का सर, तन से जुदा करवाया। सलमान चिश्ती, एक और खादिम भी अपनी जिहादी हरकतों के लिए फिलहाल जेल में है। इन सबका कुछ होने वाला नहीं। जिहादियों के लिए हमारे कानून नरम हैं। जिहादियों के लिए हमारी अदालतें नरम हैं। इसीलिए जिहादी बेखौफ हैं। क्या अब भी हिन्दू अपना समय और पैसा गवाँकर अपना पवित्र सर इस दरगाह पर झुकाने जाएंगे। क्या हिन्दू की समझ में अब आएगा कि जिन दरगाहों पर वह सर झुकाने जाता है वे दरगाहें उनके सर को उनके धड़ से अलग करने को बेताब हैं। अरे हिन्दुओ क्या तुम्हारे देवी देवताओं की कमी है क्या। देवी देवताओं के अकाल की समस्या से जूझ रहे हो क्या जोकि तुम लोग इन दरगाहों पर सर नवाने जाते हो। सुधर जाओ और सच को स्वीकार करो। सीरिया से लेकर भारत तक जिहाद दिन रात काम पर है। जिहाद का अर्थ है हर उस आदमी को मिटा दो जो अल्लाह को नहीं मानता। इसके अलावा जिहाद का कोई अर्थ नहीं। जिहाद और जिहादी आतंक में कोई फर्क नहीं। अब तो सच को स्वीकारो और अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करो। जिहाद, इस्लाम का अभिन्न अंग है। अगर आप कुरान पढ़ेंगे तो आप इस बात को समझ जाएंगे। अगर आपको अरबी फारसी नहीं आती तो कोई बात नहीं। पुस्तकालयों में पुस्तकें मौजूद हैं जो बाकायदा तर्जुमा करके कुरान समझा रहीे हैं। अगर मुझ पर विश्वास नहीं तो खुद ही पढ़ लो और सच जान लो। फिलहाल, कपिल मिश्रा की भावनाएं प्रशंसा के लायक हैं। वे धन इकठ्ठा करके जिहाद के सताए लोगों की मदद करते फिर रहे हैं। कपिल मिश्रा की बोलती भी अदालतों ने बंद कर रखी है। उन्होंने यही तो कहा था-देश के गद्दारों को जूते मारो सालों को। क्या देश के गद्दारों को हमें गाली देने का भी हक नहीं है। वे जुम्मा जिहाद कर दें। वे सर, तन से जुदा कर दें। वे पन्द्रह मिनट में देश के हिन्दुओं को देख लेने की धमकी दें। जब हमारे सीने में दर्द उठे तो छटपटा कर हम उन्हें गाली भी नहीं दे सकते। वे शाहीन बाग कांड कर दें। हम सहते रहें । अरे माननीय अदालतो हिन्दुओं का शोषण कब तक चलेगा। कब आप लोग जिहादियों को लेकर अपना फर्ज अदा करेंगे। क्या भारत का संविधान जिहाद की छूट देता है। क्या हम जिहादियों को गद्दार कहने का हक भी नहीं रखते। कृपया, आप लोग गद्दार और गद्दारी की परिभाषा बता दीजिए। हम आपके आभारी रहेंगे। आप लोग हमें यह भी बता दीजिए कि एक कांग्रेस शासित राज्य में मुस्लिम बहुल क्षेत्र में सभी प्राइमरी स्कूलों में इतवार की जगह शुक्रवार के दिन छुट्टी घोषित कर दी गई है। क्या यह संविधान से गद्दारी नहीं है। क्या यह जिहाद नहीं है।