Saturday, July 27, 2024

प्रवेश वर्मा जी आप हिन्दू हैं याद रहे

-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़), पत्रकार,देहरादून

प्रवेश वर्मा जी आप सांसद है लोक सभा के। आप भले ही प्रधानमंत्री क्यों न बन जाएं आप तब भी हिन्दू रहेंगे। हिन्दू भारत में दोयम दर्जे का व्यक्ति है। हिन्दू को दर्द में छटपटाने का भी अधिकार नहीं है। हिन्दू को गला काट दिए जाने पर भी शोर मचाने का भी अधिकार नहीं है। हिन्दू को औरंगजेब के द्वारा तहस-नहस किए गए मंदिरों को वापस लेने का अधिकार नहीं है। हिन्दू को वक्फ बोर्ड की तरह हिन्दू सनातन धर्म बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है। हिन्दू को न तो प्रवेश वर्मा बनने का अधिकार है और न ही हिन्दू को कपिल मिश्रा बनने का अधिकार है। हिन्दू को अपनी रीढ़ की हड्डी निकालकर सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर देनी चाहिए। हिन्दू को स्वीकार कर लेना चाहिए कि हम पचास प्रतिशत मुगलों के गुलाम हैं और बाकी पचास प्रतिशत अंग्रेजों के। हिन्दू को सरेआम घोषणा कर देनी चाहिए कि श्रीराम और श्रीकृष्ण काल्पनिक हैं। हम हिन्दुओं का दिमाग खराब हो गया है कि हम इनके पीछे भाग रहे हैं। हमें सब के सब दावे छोड़ देने चाहिए। कृष्ण जन्म भूमि और ज्ञानवापी मंदिर पर हमें अपना प्रण त्याग देना चाहिए। भारत को या तो इस्लामी राष्ट्र घाषित कर देना चाहिए या फिर ईसाई राष्ट्र। इस संसार में हिन्दू की कोई आवश्यकता नहीं। हिन्दू नकारा है। हिन्दू डरपोक है। हिन्दू मुसलमानों से भी हार जाता है और ईसाईयों से भी। संविधान के मुख्य पृष्ठ से श्रीराम का चित्र हटा दिया जाना चाहिए। उस जगह दिल्ली की जामा मस्जिद का चित्र चस्पा कर देना चाहिए। अगर मुसलमानों को ठीक लगे तो इसकी जगह औरंगजेब का चित्र वहाँ सुशोभित कर दिया जाना चाहिए। हम हिन्दू मान क्यों नहीं लेते कि चौदह सौ साल पहले जन्मा मजहब सबसे महान है। उसे अपने रसूल की हिफाजत में किसी भी हिन्दू की गर्दन काट लेने का अधिकार है। हमें आदरणीय मुसलमानों को भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार देना चाहिए। हमें भारत के चर्चों के लिए वक्फ बोर्ड की तरह चर्च बोर्ड बना देना चाहिए। हिन्दू का क्या हिन्दू तो कही पर भी किसी पत्थर पर सिन्दूर लगाकर उसे भगवान घोषित कर देता है। किसी भी पीपल के पेड़ पर चंद धागे लपेटकर उसे पूजने लगता है। हिन्दू के पूर्वजों ने जो कि सभी के पूर्वज है कम से कम छह हजार साल पहले वेदों की रचना कर डाली। जिन वेदों का आज भी किसी के पास जवाब नहीं है। वह हिन्दू अब किसी मतलब का नहीं रहा। उसे मुसलमानों ने जीता और ईसाईयों ने पीटा। ऐसे हिन्दू को सर उठाने का अधिकार नहीं है प्रवेश वर्मा जी और कपिल मिश्रा जी। आप दोनों सर झुकाकर चला करिए दिल्ली में। और सुनो सुप्रीम कोर्ट को मक्का-मदीना मान कर कम से कम पाँच बार नमाज पढ़ा करिए। आम आदमी पार्टी को झुककर सलाम बजाया करिए। अगर दिल्ली में सुकून से रहना चाहते हो तो हिन्दूओं के दर्द पर तिलमिलाना छोड़ दीजिए। सेक्यूलर बन जाइए। देखा नहीं नूपुर शर्मा को किस तरह सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने बे-मतलब झिड़क दिया था। देखा नहीं वाराणसी के जिला जज को जिसने एक झटके में फतवा निकाल दिया कि ज्ञानवापी का सच जानने की कोशिश मत करो। मुगलों की शांति में खलल पैदा मत करो।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here




Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles