Saturday, July 27, 2024

देहरादून में 15 किमी का अध्यात्मिक सुरक्षा घेरा

-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़), पत्रकार, देहरादून

हम देहरादून नगर के लोग बहुत भाग्यवान हैं कि हमें चार सिद्ध पीठों का आशीर्वाद प्राप्त है। इन सिद्ध धामों के दर्शन लाभ हमें अध्यात्म से जोड़कर हमारे मन को परमेश्वर के चरणों से जुड़ने की प्रेरणा देते हैं। इन सिद्ध पीठों के दर्शन से अध्यात्म के साथ-साथ हमें मानसिक शांति भी मिलती है। देहरादून के नैतिक विकास के लिए ये चार धाम बहुत कारगर है। नगरवासियों को अपने बच्चों के जन्म दिन के अवसर पर इन चार धामों के दर्शन करने चाहिए। पश्चिमी सभ्यता में जो भौंडापन है वह हमारे मानस को विकृत कर रहा है। नगरवासियों को अपने बच्चों के जन्म दिन के अवसर पर कम से कम एक धाम पर परिवार सहित माथा टेकने जाना चाहिए। पर्यटन के साथ-साथ धर्माटन का लाभ तो मिलेगा ही हमारे नौनिहाल सनातन संस्कृति से भी जुड़ेंगे। स्कूली शिक्षा में जो कमियाँ हैं उनकी भरपाई के लिए ऐसा करना बहुत आवश्यक है।
ये चार प्रसिद्ध सिद्ध धाम, लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सिद्ध हैं। ये चारों पावन धाम नगर के घंटा घर से लगभग 15 किमी की दूरी पर है। इसका अर्थ यह है कि इन चारों धामों से कोई भी धाम 15 किमी से अधिक की दूरी पर नहीं है। आप अपने वाहन से भी यहाँ दर्शन लाभ के लिए जा सकते हैं। आप टैक्सी या बस को भी माध्यम बना सकते हैं। इन चारों धामों तक पहुँचना आसान हैं। यदि आप बस को माध्यम बनाते हैं तो आपको एक-दो किमी पैदल चलना पडे़गा। आप पैदल चलने का लाभ भी उठा सकते हैं अन्यथा अपने वाहन या टैक्सी से जा सकते हैं। साल भर ये चारों धाम श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं। देहरादून के लोगों में इन धामों को लेकर जागृति बढ़ रही है। सरकार को चाहिए कि इन चारों धामों के कायाकल्प पर विचार करें ताकि इन सिद्ध पीठों को लेकर आकर्षण बढ़े। स्थानीय पर्यटकों और धर्माटकों के साथ-साथ नगर से बाहर के जिज्ञासुओं को भी इन सिद्ध पीठों की सही जानकारी दी जानी चाहिए। ये चारों सिद्ध पीठ किसी न किसी सिद्ध महात्मा की तपस्थली रहे हैं। इसीलिए, इन सिद्ध पीठों को मनौती के सिद्ध स्थलों के रूप में भी मान्यता प्राप्त हैं। इन सिद्ध पीठों का भवन शिल्प अपनी-अपनी विशिष्टता लिए हुए हैं। यहाँ, यदि कुछ अच्छे भवन बन सकें जहाँ श्रद्धालु ठहर सकें। इसके साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद उठा सकें तो श्रद्धालु इन दिव्य धामों पर कई घंटे बिता सकेंगे। साथ में इन स्थलों पर रोजगार के अवसर भी बढ़ जाएंगे। हालांकि, ऐसा करते समय यहाँ की शांति कदापि भंग नहीं होनी चाहिए। जल का उचित प्रबंध होना चाहिए। शौचालयों की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। सरकार इतना तो कर ही सकती हैं।
लक्ष्मण सिद्ध देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर स्थित है। मुख्य मार्ग से एक किमी अंदर जाते ही इस पावन पीठ के दर्शन हो जाते हैं। कालू सिद्ध मंदिर थानों गाँव से 7 किमी दूर हैं। यह पावन मंदिर भानियावाला में स्थित हैं। यह पावन धाम हिन्दू संत कालू सिद्ध के नाम पर है। जबकि लक्ष्मण सिद्ध भगवान राम के छोटे भाई श्री लक्ष्मण के नाम पर विराजमान है। मानक सिद्ध शिमला बाईपास पर बड़ोवाला में स्थित है। यहाँ भी श्रद्धालुओं को परम शांति की अनुभूति होती हैं। मांडू सिद्ध मंदिर प्रेमनगर के क्षेत्र में सुंदर पेड़ों के लुभावने झुरमुट के बीच विराजमान है। ये सभी पावन सिद्ध पीठ श्रद्धालुओं की इच्छा पूर्ति के केन्द्र भी माने जाते हैं। इन चार सिद्ध पीठों में भले ही आपको भव्य भवन शिल्प के दर्शन न हों लेकिन आप इन सिद्ध पीठों पर जाकर अपने चित्त को शांत कर शक्ति और संकल्प प्राप्त कर सकते हैं। इन चारों धामों का आशीर्वाद प्राप्त कर आप उत्साह और विवेक से अपने बिगड़े काम सँवार सकते हैं।
आपको इन चार सिद्ध पीठों की असीम अनुकम्पा से विदित किया जा रहा है कि आगामी 13 नवम्बर रविवार के दिन देहरादून में तेग बहादुर मार्ग पर सागर गिरि आश्रम से धर्मयात्रा का आयोजन तय हुआ है। महंत अनुपमा नंद गिरि महाराज और व्यास शिवोहम बाबा के पूज्य मार्ग दर्शन में क्षेत्र के श्रद्धालु बसों द्वारा इन चार सिद्ध पीठों के पावन दर्शन कर धर्म लाभ प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। इन दो महात्माओं की सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पण भावना से प्रेरित होकर श्रद्धालु इस धर्म यात्रा का लाभ उठाने को उत्सुक हैं। देहरादून के इन सिद्ध पीठों पर जाकर श्रद्धालु देहरादून नगरवासियों की सुख और शांति के लिए प्रार्थना करेंगे। आपसे भी अनुरोध है कि इन चार सिद्ध पीठों से अपने नन्हें-नन्हें बच्चों को अवगत कराएं। सनातन धर्म की ध्वजा को हम जितना ऊँचा लहराएंगे हमारा राष्ट्र उतना ही प्रगति करेगा। भारत तभी तो संसार का पुनः धर्मगुरु बन पाएगा।
सनातन धर्मध्वजा को थामे यह श्रद्धालुओं का दल चारों पीठों का आशीर्वाद प्राप्त कर कड़वापानी स्थित हरि ओम आश्रम के दर्शन का लाभ उठाएगा। हरि ओम आश्रम भी अपनी महत्ता में थोड़ा सा भी कम नहीं है। इस सिद्ध धाम में महंत अनुपमा नंद गिरि महाराज की धर्मपीठ विराजमान है। यहाँ देवादिदेव महादेव की अनुकम्पा से महाराज जी आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को सनातन धर्म परम्परा की पावन शिक्षा देकर उन्हें सनातनी बनाते हैं। यही नहीं अपितु इनके संस्कारों को सनातन रीतियों द्वारा सिंचित भी करते हैं। इन्हें विद्यालयी शिक्षा भी प्रदान की जाती है ताकि जितना चाहें पढ़ सकें। इस आश्रम में सैकड़ों गऊ माताओं का अनुरक्षण भी होता है। इसलिए यह हम जैसे श्रद्धालुओं के लिए पावन धाम ही तो है। सनातन संस्कृति गऊ गंगा के बिना अधूरी जो है।

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here




Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles