Monday, November 11, 2024
HomeBreaking Newsराणा दंपति, कंगना रनौत और अर्नब गोस्वामी की हाय

राणा दंपति, कंगना रनौत और अर्नब गोस्वामी की हाय

-वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून

सोनिया पवांर की सरकार ने अर्नब गोस्वामी को निराधार तरीके से सत्ता का नंगा नाच दिखाते हुए तलोजा जेल में ठूँस फेंका था। आठ दिन उसे जेल की रोटी खानी पड़ी। उसे सुबह छह बजे के आस-पास उसके घर से ऐसे भयानक अंदाज में उठाया गया था जैसे वह कोई दुर्दांत जिहादी आतंकी हो। उसे चप्पल तक पहने का अवसर नहीं दिया गया। उसे ऐसे प्रताड़ित किया गया जैसे वह कोई घटिया दर्जे का वाहियात और समाज का शत्रु हो। ये मार्मिक दृश्य भुलाए नहीं भूलते। पूरा देश चुपचाप यह घोर अन्याय देखता रहा। यह स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान कतई नहीं है। पालघर के दो साधुओं की हत्या उन लोगों ने की जो जिहादी अंदाज में वहाँ हिन्दुओं को ईसाई बना रहे हैं। वहाँ ईसाईकरण का नंगा नाच चल रहा है। इसके बावजूद देश चुप है। संविधान के रक्षक चुप हैं। उद्धव सरकार ने ईसाईकरण के इस अभियान को कवच देने की कोशिश की ताकि सोनिया नाराज न हो जाए। रही बात पवांर की उन्हें केवल अपनी और अपने कुटुम्ब की भलाई से लेना-देना होता है। इसी तरह कंगना रनौत को तरह-तरह से सताया गया। उसका मकान तोड़ा गया ताकि वह चुप रहे। उसने तब घायल मन से कहा था कि सभी दिन एक जैसे नहीं रहते और वक्त का घूमता पहिया तुम्हें सबक सिखाएगा। वहाँ अगर मकान का कोई हिस्सा गैर कानूनी था तो अगल-बगल की स्थिति भी तो यही थी। अगल-बगल के मकान क्यों नहीं तोड़े गए। इसी तर्ज पर नवनीत राणा और उनके पति के साथ अमानुषिक अत्याचार किए गए। उन्हें निरपराध जेल भेज दिया गया। जेल में बाथरूम तक का उपयोग करने से रोका गया। संविधान चुप रहा। संविधान के रक्षक चुप रहे। सब चुप रहे। मानवाधिकार वालों को कोई दिक्कत नहीं। मानवाधिकार वाले लोग अपने फायदे के हिसाब से मानवाधिकार के मुद्दे उठाते हैं। उद्धव सरकार के गुनाह अनगिनत है। इस सरकार ने सोनिया गाँधी और शरद पवांर को प्रसन्न रखने के लिए अपने खुद के विधायकों के साथ अन्याय किया है। इनके राज में जिहादी ताकते सर उठाने लगी थीं। भावी हिन्दू राष्ट्र के लिए यह सरकार खतरनाक थीं। इसका जाना देश के हित में है। एकनाथ शिंदे ने ढाई साल अपमान सहा। उद्धव ने सोनिया सेना और पवांर सेना के विधायकों को तरजीह दी। शिवसैनिकों की उपेक्षा की ताकि महाअघाड़ी के घटक खुश रहें और सरकार जिंदा रहे। उद्धव ने शिंदे और उनके पसंदीदा विधायकों की लगातार उपेक्षा की। आखिर, इस उपेक्षा की दीवार को को तोड़कर शिंदे आजाद हो गए और उन्होंने सिद्ध कर दिया कि उनके लिए हिन्दुत्व से समझौता संभव नहीं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments