Friday, November 22, 2024
HomeUncategorizedउत्तर-पूर्व में भाजपा का मौसम

उत्तर-पूर्व में भाजपा का मौसम

-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान

उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों में मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में अपना निर्णय दिया। दो राज्यों नागालैण्ड और त्रिपुरा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला लेकिन मेघालय में भाजपा की समर्थक पार्टी को बढ़त मिली। मेघालय में किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। यह भाजपा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की सोच और मेहनत रंग लाई। भाजपा को नागालैण्ड और त्रिपुरा के लोगों ने होली का अच्छा उपहार दिया। हो सकता है कि मेघालय में भी भाजपा और समर्थित दल की सरकार बने। 2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी उत्तर-पूर्व के सातों राज्यों को लेकर गंभीर रहे हैं। उन्होंने 2014 में ही स्पष्ट कर दिया था कि वे उत्तर-पूर्व के राज्यों में विकास की बयार लाएंगे। गुजरे 70 वर्षों में उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए किसी भी केन्द्र सरकार के पास कोई योजना थी ही नहीं। सब कुछ राम भरोसे चल रहा था। विकास तो दूर की बात है कोई प्रधानमंत्री उत्तर-पूर्व के राज्यों में जाना भी नहीं चाहता था। जाता भी क्यों इन राज्यों के लिए किसी प्रधानमंत्री के पास सोच ही नहीं थी। इनको लगता था कि उत्तर-पूर्व के राज्य अपने हाल पर ही रहें तो ठीक। इसी बीमार सोच के चलते आसाम, त्रिपुरा और नागालैण्ड सहित मणिपुर जैसे राज्यों में घोर अराजकता बनी रही। आतंकवाद अपने चरम पर रहा। विदेशी शक्तियों को भी इस आतंकवाद को हवा देने का मौका मिलता रहा। जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से उत्तर-पूर्व के राज्यों में आतंकवाद कम हुआ है। कहीं-कहीं तो आतंकवाद दम तोड़ चुका है। फिर भी विपक्षी मोदी को घेरते रहे हैं कि मोदी देश को बर्बाद कर रहा है। उन्हें पता है कि मोदी देश को मजबूत कर रहा है। लेकिन विपक्षियों को सफेद झूठ बोलने की आदत है। तमाम दुष्प्रचार के बावजूद मोदी की गरीबी दूर करने की योजनाओं के फलस्वरूप लोगों ने मोदी पर भरोसा जताया। आसाम में भाजपा की वापसी हुई थी और अब त्रिपुरा में भी वापसी हुई है। मोदी के विरोधियों को जात-पात और मजहब से ऊपर उठना पड़ेगा। इस चुनाव में मोदी ने काँग्रेस को उत्तर-पूर्व में समाप्त कर दिया जबकि वामपंथियों को घुटनों पर ला दिया। ममता बनर्जी ने भी इन तीन राज्यों में खूब ऊछल-कूद की। मर्यादा की सीमाओं को तहस-नहस किया। इसे लगा कि पश्चिम बंगाल के मतदाताओं की तरह इन राज्यों के मतदाता भी उसके झाँसे में आ जाएंगे। लेकिन उसके मंसूबे कामयाब नहीं हुए। इन चुनावों के नतीजों ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। मोदी की 2024 में धमाकेदार वापसी होनी तय है। मोदी 2014 से अबतक लगभग 51 बार उत्तर-पूर्व के राज्यों को दौरा कर चुके हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments