-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान
लगभग 109 साल के सियाराम बाबा जो कि केवल एक लंगोट में रहते हैं। एक महान तपस्वी हैं। ये हनुमान के परम भक्त हैं। सियाराम बाबा ने 12 वर्षों तक मौन वृत रखा था। जब उन्होंने मौन वृत तोड़ा तो उनके मुँह से निकला था सियाराम। इसीलिए लोग उन्हें सियाराम बाबा के नाम से पुकारने लगे। सियाराम बाबा ने 10 साल तक एक पाँव पर खड़े रह कर तप किया था। इसे खड़ेश्वर तप कहते हैं। बाबा योग साधना में पारंगत हैं। जब सियाराम बाबा नर्मदा नदी के किनारे खड़ेश्वर तप में लीन थे तो नर्मदा में बाढ़ आ गई। सियाराम बाबा की नाभि तक पानी चढ़ आया। लेकिन सियाराम बाबा हठ योग के माध्यम से तपस्या में डटे रहे। सियाराम बाबा लगातार घंटों रामचरितमानस का पाठ करते हैं। इनकी आयु को लेकर लोगों में मतभेद है। अधिकतर लोग इन्हें 100 वर्ष से अधिक का बताते हैं। इन्होंने कठोर जप-तप और योग से अपने शरीर को इस तरह ढाल लिया है कि किसी भी मौसम में वे एक लंगोट में गुजारा कर देते हैं। सियाराम बाबा अपनी इन्द्रियों पर संयम करने में पारंगत हैं। यही कारण है कि वे किसी भी मौसम में एक लंगोट में आराम से रह लेते हैं। सियाराम बाबा मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थिति भटियाण आश्रम के मुखिया भी हैं। इनकी ख्याति देश के साथ-साथ विदेशों में भी है। इनकी एक झलक पाने के लिए लोग खरगौन दौड़े चले आते हैं। सियाराम बाबा अध्यात्म की पराकाष्ठा हैं। बाबा दान में केवल 10 रूपये स्वीकार करते हैं। यदि कोई उन्हें 10 रूपये से अधिक देता है तो वे उसे बाकी धन लौटा देते हैं। जो भी धन उनके पास इकठ्ठा होता है उसे वे समाज कल्याण के लिए दान कर देते हैं। वे कभी-कभी मंदिर निर्माण के लिए भी धन देते हैं। 100 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजूद वे कड़ाके की ठण्ड और लू का सामना कर लेते हैं। उनकी अधिकतम आयु 130 वर्ष बताई जा रही है। जब कि कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि उनकी आयु 80 वर्ष है। उनकी आयु 109 वर्ष मानने वाले भी बहुत हैं। ऐसा लगता है कि उनकी उम्र का कोई आदमी उनके आसपास नहीं है। इस बात से तो यही सिद्ध होता है कि सियाराम बाबा 100 साल से अधिक के हैं। क्या यह किसी चमत्कार से कम है कि बाबा केवल लंगोट में जीवन काट रहे हैं। यह सच्चाई इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म में कई ऐसी बेजोड़ बाते हैं जिनका दुनिया में कोई सानी नहीं। भगवान में श्रद्धा ना रखने वाले लोग ऐसी बातों को अंधविश्वास से जोड़ देते हैं। बागेश्वर बालाधाम के धीरेन्द्र शास्त्री का दावा भी ऐसा ही है। वे कहते हैं कि वे एक साधारण व्यक्ति हैं। वे श्रीराम और श्री हनुमान की शक्ति से लोगों का भला करते हैं। वे केवल माध्यम हैं और वे स्वयं अंधुविश्वासों से दूर रहते हैं। लेकिन श्री हनुमान की कृपा को लोग अंधविश्वास बता रहे हैं। इसी बात से पं0 धीरेन्द्र शास्त्री को आपत्ति है। उनका कहना है कि श्री हनुमान कलियुग के राजा हैं और वे जीवित हैं। विज्ञान अध्यात्म की शक्ति को समझने में असफल है।