अयोध्या, काशी और अब मथुरा
-युगीन संवाद ब्यूरो-
मच गया शोर सारी नगरी रे। आया बिरज का मौका संभाल तोरी पगड़ी रे। फिल्म के बोल हैं ये मगर गगरी की जगह पगड़़ी लिख दिया गया है यहाँ। गगरी का मामला छोड़िए अब तो पगड़ी का मामला है। मुरली मनोहर की पगड़ी कब तक उछाली जाती रहेगी। भारत में राम के बाद श्याम ही तो हैं जिन्हें लोग सुबह-शाम पूजते हैं। मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि का मामला पेचीदा बना दिया गया है। जैसे राम जन्म भूमि का मामला उलझाया गया था वैसे ही श्याम जन्म भूमि का मामला भी हिचकोले खा रहा है। विडम्बना है भारत की। भारत के विराट महापुरूषों के लिए ही भारत में जगह नसीब नहीं हो रही। भारत के सबसे विराट व्यक्तित्वों को अपनी जन्म भूमि के लिए तरसाया जा रहा है। यही होता है सैक्युलरिज्म का अंजाम। सैक्युलरिज्म बहुसंख्यकों के गले की फाँस बनता जा रहा है। कहा जा रहा है कि श्रीकृष्ण जन्म भूमि का मामला अदालत में है। यह तो होना ही था। जब इतिहास में ही सच के मुँह पर कालिख पोती जाएगी तो सच की वकालत होगी कैसे। बेहतर होता कि सच को माना जाता और श्रीकृष्ण जन्म भूमि के दावे को स्वीकार कर लिया जाता पर ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि राम और कृष्ण तो काल्पनिक है और बाकी सब हकीकत हैं। जो भी हो यह मसला तूल पकड़ेगा और अंजाम की ओर बढ़ेगा। किसी के रोकने से नहीं रूकेगा। हल होकर ही रहेगा यह मसला। भगवान कृष्ण के साथ अन्याय होने देंगे तो फिर सनातन धर्म का क्या होगा।
मथुरा के मुरली मनोहर मुखर हुए
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