नई दिल्ली (संवाददाता) । रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य शशांक भिडे ने सोमवार को कहा कि अनुकूल मानसून, उच्च कृषि उत्पादकता और बेहतर वैश्विक व्यापार के दम पर चालू वित्त वर्ष और उसके बाद भी भारत के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रख पाना मुमकिन है।
हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विनिर्माण और बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की वजह से आर्थिक वृद्धि दर लगभग आठ प्रतिशत रहने की संभावना है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लंबी अवधि में खाद्य मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए उत्पादकता में सुधार की जरूरत प्रमुख कारक बनी रहेगी। सजग करने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों के बारे में पूछे जाने पर एमपीसी सदस्य ने कहा कि चिंता का एक क्षेत्र वैश्विक परिवेश है। यह पूछे जाने पर कि खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों का दीर्घकालिक समाधान क्या है, भिडे ने कहा कि हाल के वर्षों में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति का एक पहलू सब्जियों जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं पर मौसम की स्थिति का प्रभाव है। हालांकि इस तरह की मूल्य वृद्धि अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन उनका प्रभाव महत्वपूर्ण है।
सात प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रख पाना संभव
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