-वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून
भारत के कई नगरों में इस समय जुम्मा जिहाद का जलवा दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, मुरादाबाद, सहारनपुर, देवबंद, फिरोजाबाद सहित अन्य जगहों पर पत्थर जिहाद चल रहा है। लगभग दो घंटे पहले शुरू हुआ पत्थर जिहाद चरम की ओर बढ़ रहा है। कश्मीर की घाटी के जिहादियों ने भारत के जिहादी मानसिकता के लोगों को पत्थर जिहाद और पेट्रोल बम जिहाद के गुर सिखा दिए हैं। यही कारनामें अब भारत के तमाम नगरों में दोहराए जा रहे हैं। ठीक सात दिन पहले जिस जिहाद का प्रदर्शन यतीमखाना क्षेत्र कानपुर में किया गया था वही अब उत्तर प्रदेश के कई शहरों में चल रहा है। दिल्ली जामा मस्जिद में भी जुम्मे की नमाज के बाद अपने खुदा को खुश करने के लिए जोर आजमाइश चल रही है। प्रयागराज के अटाला क्षेत्र में पत्थर जिहाद पर काबू कर रहे डीएम और एसएसपी तक घायल हो गए हैं। मौलवी, मुल्ले, काजी और मुफ्ती जिन्हें हम लोग धर्म गुरू मानते हैं, ये ही दरअसल जिहाद के शिक्षक हैं। इन्हें लगता है कि बुतपरास्तों को सताकर ये अपने खुदा को प्रसन्न कर सकते हैं। अगर भारत में शांति कायम करनी है तो जिहाद के इन आकाओं को ही सुधारना पड़ेगा। ये ही हैं फसाद की जड़। आज जगह-जगह जिहादी पत्थरबाजों के मुकाबले में अगर कोई है तो वह है पुलिस। इसका मतलब यह है कि ये जिहादी देश पर हमला कर रहे हैं। इनका गुनाह देश पर हमला करने के बराबर है। जब इन पत्थर जिहादियों की धरपकड़ की जाएगी तो इनके जिहादी मानसिकता से भरपूर मुल्ले, मौलवी, मुफ्ती और काजी पुलिस को आँखे तरेर कर कहेंगे कि बच्चे हैं, नादानी में गलती हो जाती है। दरअसल, इन्ही को अन्दर करना चाहिए। ये ही जिहाद की आग हैं और ये ही जिहाद की ढाल हैं। नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल से पहले क्या इस देश में पत्थर जिहाद नहीं हुए। इन्हें मात्र बहाना चाहिए। बहाना मिलते ही ये जुम्मा जिहाद बरपा देते हैं। देश को जिहाद को ठिकाने लगाने के लिए सच बोलने वालों का गला नहीं दबाना चाहिए। अगर सच बोलने वालों का गला दबाओगे तो जिहाद और अधिक विस्फोटक होता चला जाएगा। भारत सरकार को जिहाद और जिहादी आतंक को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ में बहस छेड़नी चाहिए। ये कोई मामूली दंगा, फसाद या आतंक नहीं है। यह कोई बलवा भी नहीं है। यह जिहाद है। जिसकी कोख मजहबी शिक्षा है। भारत सरकार को आँखे खोलनी पड़ेेंगी। नारा देना पड़ेगा, सबका साथ, सबका विकास और जिहाद का विनाश। अन्यथा रात दिन विकास के कार्य करने का कोई लाभ नहीं। विकास के कार्यों का लाभ देश को तभी होगा जब हिन्दू जागेगा। हिन्दू सड़कों पर निकल कर जब कहेगा कि हमें सुल्तानों और मुगलों के समय बर्बरता से छीन लिए गए देवालयों को वापस कर दिया जाए। भारत सरकार को इस आशय का कानून बनाना पड़ेगा। जिन मस्जिदों से जुम्मे के बाद जुम्मा जिहाद बरपाया जा रहा है ऐसी मस्जिदों में नवाजियों की संख्या तय कर दी जाए। अगर इन मस्जिदों से निकल कर पत्थर जिहाद बरपाया जाता है तो इन मस्जिदों के रहनुमाओं को जेल में डाल देना चाहिए। अन्यथा देश में अराजकता बढ़ती चली जाएगी। पूंजी निवेश की गति थम जाएगी। पाँच ट्रिलियन डॉलर की इकोनोमी तो क्या भारत भिखारी मुल्क बन जाएगा। जिहादियों की मनोकामना पूरी हो जाएगी। सो रहे हिन्दू को जागना पड़ेगा। सरकार के भरोसे बैठे रहने से काम नहीं चलेगा। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भी यही तमाशा चल रहा है। महाराष्ट्र में जिहादी हैदराबादी की पलटन हरे झण्डो पर चाँद-सितारे लिए लोकतंत्र की अलख जगा रहे हैं। लेकिन सच यह है कि वे जिहाद की आग को भड़का रहे हैं। रहा पश्चिम बंगाल का सवाल, वहाँ की मुख्यमंत्री को राम के नाम से क्रोध आता है जबकि खुदा वालों की खिदमत के लिए वे पल-पल तैयार रहती हैं। ऐसी सूरत में अगर वहाँ मामला गड़बड़ हुआ तो अंजाम की कल्पना की जा सकती है।