Saturday, January 25, 2025
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उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ने राज्यपाल के समक्ष ‘वन यूनिवर्सिटी – वन रिसर्च’ पर चल रहे शोध की प्रगति के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया

देहरादून(संवाददाता)। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के समक्ष शनिवार को राजभवन में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने ‘वन यूनिवर्सिटी – वन रिसर्च’ पर चल रहे शोध की प्रगति के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया। आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘क्षार सूत्र प्रबंध से भगंदर का इलाज’’ विषय पर शोध प्रबंध किया जा रहा है। राज्यपाल ने पूर्व में इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को उनकी विशेषज्ञता के आधार पर राज्य हित में शोध करने के निर्देश दिए गए थे।
कुलपति ने बताया कि पिछले एक वर्ष के दौरान विश्वविद्यालय ने भगंदर रोग से ग्रसित 182 लोगों पर शोध और उनका उपचार किया। इस शोध का उद्देश्य भगंदर जैसे जटिल रोग का प्रभावी और स्थायी समाधान प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि शोध में इस रोग का मुख्य कारण गलत दिनचर्या, अनुचित खानपान और लगातार कब्ज रहना प्रमुख हैं। इस रोग से 24 से 54 वर्ष आयु के लोग ज्यादा पीड़ित हैं और यह समस्या पुरुषों में अधिक देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में इस रोग का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है और इसमें रोग के दोबारा होने की संभावना बेहद कम है। उन्होंने बताया कि शोध के दौरान क्षार सूत्र द्वारा रोगियों का उपचार किया गया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास आयुर्वेद के प्रति लोगों के विश्वास को और अधिक सुदृढ़ करेगा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित करने और इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए इस प्रकार के शोध अत्यंत आवश्यक हैं। राज्यपाल ने कहा कि आने वाले समय में इस शोध के अंतिम निष्कर्षों को उत्तराखण्ड सरकार और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा, ताकि इसे व्यापक रूप से अपनाया जा सके।
राज्यपाल ने कहा कि यह पहल न केवल आयुर्वेद को नई पहचान दिलाएगी, बल्कि रोगियों को प्रभावी, सुरक्षित और स्थायी उपचार प्रदान करने में भी सहायक होगी। उन्होंने शोध टीम की मेहनत और समर्पण के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शल्य तन्त्र प्रमुख डॉ. अजय कुमार गुप्ता, डॉ. पंकज बच्चस उपस्थित रहे।

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