महाराष्ट्र जी आपका क्या होगा। बाला साहेब ठाकरे के कुटुम्ब में भूचाल आया हुआ है। इससे पहले भी इस कुटुम्ब की धरती हिली थी मगर इस बार भूकंप के झटके जानलेवा हैं। एकनाथ शिंदे पक्ष गुवाहाटी के पाँच सितारा होटल में घर परिवार छोड़ कर आराम फरमा रहा है। फिलहाल उन्हें सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहत भी मिली है। यानी राज्य की विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के निर्णय को निरस्त कर दिया गया है। यह उद्धव पक्ष को पहला संवैधानिक झटका है। मुमकिन है इस पक्ष को और भी झटके लगें क्योंकि शिंदे पक्ष के पास इनसे दो गुना से भी ज्यादा विधायक हैं और इनकी संख्या बढ़ने के आसार भी दिखाई दे रहे हैं। शिंदे पक्ष का साफ कहना है कि उद्धव राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के पक्ष में इतना झुक चुके हैं कि उनके अन्दर हिन्दुत्व जैसी कोई बात दिखाई नहीें देती है। इसी आधार पर शिंदे पक्ष भाजपा को लेकर उत्साहित है और बार-बार कह रहा है कि भाजपा को छोड़ना शिवसेना की गलती थी। महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा और शिवसेना को शासन का अधिकार दिया था जबकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस को हराया था। उनका यह कहना भी है कि उद्धव करीब ढाई साल के शासन में एक बार भी मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं गए। सरकारी आवास यानी बंगला वर्षा से ही फोन पर दायित्व निभा रहे थे और शिवसेना के विधायकों और मंत्रियों को मिलने का समय भी नहीं देते थे। यह बहुत गंभीर आरोप हैं। अगर यह जरा सा भी सच है तो शिंदे पक्ष की सराहना की जानी चाहिए। उद्धव के पास गिने चुने विधायक हैं और हो सकता है कि दो चार रोज में इनकी संख्या और भी सूक्ष्म हो जाए। जो भी हो वहाँ सत्ता परिवर्तन जरूरी है ताकि राज्य का विकास हो और देश के चौतरफा विकास में आ रही रूकावटें दूर हों। यह केवल महाराष्ट्र का मसला नहीं है। महाराष्ट्र किसी एक की बपौती नहीं है । महाराष्ट्र सबका है और यहाँ विकास की गति को तेज किया जाना जरूरी है।