-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या में शामिल भाजपा नेताओं के कूपुत्रों को आक्रोश में आकर लोगों ने धुन कर रख दिया। पुलिस न आती तो इन दुष्टों का तिया पाँचा हो चुका होता। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध तभी कम होंगे जब लोग ऐसे लोगों का हिसाब-किताब कर दें। कानून की आड़ में ऐसे अपराधी मामूली सी सजा पाकर जेलों से वापस लौट आते हैं और अपराध बढ़ते चले जाते हैं। जिस तरह मामला सामने आ रहा है उसके अनुसार अंकिता भंडारी जिस रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी वहाँ अपराधिक गतिविधियाँ चल रही थीं। इसलिए अंकिता काम छोड़ना चाहती थी। अंकिता की इसी कोशिश से बौखलाकर अपराधियों ने अंकिता को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। अंकिता भोगपुर, यमकेश्वर के एक रिसॉर्ट गंगा में काम कर रही थी। जब रिसॉर्ट के मालिकों को पता लगा कि अंकिता काम छोड़ना चाहती है तो उन्हें भय हुआ कहीं यह लड़की उनकी कारगुजारियों का पर्दाफाश न कर दे। इसलिए इन लोगों ने अंकिता को मौत के घाट उतार दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार रिसॉर्ट मालिक डा0 पुलकित आर्या और प्रबंधक एवं साहयक प्रबंधक इस षडयंत्र में शामिल है। इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलकित आर्या भाजपा नेता डा0 विनोद आर्या का बेटा और उत्तराखण्ड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष डा0 अंकित का छोटा भाई है। इन्होंने अंकिता पर अनैतिक कार्यों में साथ देने के लिए दबाव बनाया। अंकिता को यह स्वीकार्य नहीं था। इसीलिए इन आरोंपियों ने ऋषिकेश ले जाकर अंकिता को जिंदा चीला नहर में फेंक दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस रिसॉर्ट पर बुल्डोजर फिरवा दिया। जबकि राज्य के सभी रिसॉर्ट की जाँच के आदेश दे दिए हैं। उत्तराखण्ड के लोग अंकिता की हत्या से सदमें में है। इन दुष्टों ने अंकिता को तड़पा-तड़पा कर मारा। वह पानी से बाहर आने के लिए गुहार करती रही पर ये तीनों मदिरा के जाम छलकाते रहे और चुस्कियाँ लेते रहे। बेहतर होता कि आक्रोशित लोगों ने इनका पुख्ता इंतजाम कर दिया होता पुलिस के पहुँचने से पहले।