Monday, December 9, 2024
HomeUncategorizedउत्तराखण्ड का दर्द बॉबी पंवार हमदर्द

उत्तराखण्ड का दर्द बॉबी पंवार हमदर्द

-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान

साभार-नेशनल वार्ता न्यूज़

सवाल बॉबी पंवार के प्रखर आंदोलन का नहीं। सवाल उत्तराखण्ड के मौजूदा मुख्यमंत्री का भी नहीं और सवाल भाजपा शासित उत्तराखण्ड का भी नहीं। सवाल है अन्याय का। सवाल है भ्रष्टाचार का। इसलिए बॉबी पंवार एक नायक माना जाएगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाला कोई भी नौजवान किसी नायक से कम नहीं। इसमें दो मत नहीं कि मुख्यमंत्री के आस-पास घेरा लगाकर रहने वाले नेता, मंत्री और अधिकारी ही बड़े भ्रष्टाचार के सूत्रधार होते हैं। भ्रष्टाचार के इस तूफान को नष्ट करना बहुत जरूरी है। शायद ही भारत का कोई ऐसा राज्य हो जहाँ भ्रष्टाचार का दानव तांडव न कर रहा हो। भर्ती परीक्षाओं में होने वाला घोटाला इस बात का प्रमाण है कि मंत्री, राजनेता और बड़े अफसर भ्रष्टाचार को ही राजकीय संस्कार मानते है। इस राजकीय संस्कार को मौत के घाट उतारा जाना चाहिए। उत्तराखण्ड जैसे राज्य में चल रहे भर्ती भ्रष्टाचार के खिलाफ नौजवानों को एकजुट होना चाहिए। अन्य राज्यों की तरह उत्तराखण्ड में भी भर्तियाँ रेगुलर आधार पर नहीं होती। अधिकतर भर्तियाँ कभी-कभी होती हैं। ये भर्तियाँ भी अगर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएं तो इसे प्रलय ही कहा जाएगा। इस प्रलय का खामियाजा नौजवानों को भुगतना पड़ता है। खासकर, होनहार नौजवान इन भर्ती घोटालों के कारण तबाह हो जाते है। इस त्रासदी से मुक्ति के लिए केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए। भर्तियों में घोटालों पर रोक के लिए स्थायी समाधान होना चाहिए। नौजवानों के भविष्य से जुड़ा ये मसला राज्यों सरकारों पर नहीं छोड़ा जा सकता। देश के लोग केंद्र सरकार पर अधिक भरोसा करते हैं। क्योंकि केंद्र सरकार की सोच समग्र होती है। उसकी सोच का दायरा बड़ा होता है। ऐसा कोई केंद्रीय कानून लाना चाहिए जो पूरे भारत में लागू हो और जिसके रहते भर्ती घोटालों पर पूर्ण विराम लगे। इसके लिए यदि संविधान में कोई नई धारा जोड़नी पड़े तो वह भी किया जाना चाहिए। यदि संविधान संशोधन से काम चले तो ठीक है। भर्तियों में 100 प्रतिशत पारदर्शिता का होना अनिवार्य है। हम लोकतंत्र की दुहाई तो देते रहते हैं लेकिन वास्तव में हम लोकतंत्र को कलंकित कर रहे हैं। भ्रष्टाचार से भर्ती होने वाला युवा आजीवन भ्रष्टाचार ही तो करेगा। अफसरों, मंत्रियों, राजनेताओं का नापाक गठजोड़ युवाओं को भ्रष्ट बना रहा है। ये तीन यदि भ्रष्ट होंगे तो चप्पे-चप्पे पर भ्रष्टाचार होगा। लाखामंडल के युवा बेरोजगार नेता बॉबी पंवार का आंदोलन जायज है। उत्तराखण्ड के मौजूदा सरकार को इस आंदोलन के मायने समझने होंगे। लेकिन भ्रष्ट मंत्रियों, भ्रष्ट अफसरों और बिचौलियों की भरमार से चलते ऐसा संभव नहीं है। केन्द्र सरकार को ऐसे मामलों में हस्ताक्षेप करना चाहिए। यदि हस्ताक्षेप का अधिकार नहीं है तो संविधान में ऐसी गुंजाइश पैदा करनी होगी। चलता है या चलता रहेगा, ऐसा कहने से कोई सुधार होने वाला नहीं है। सुधार के लिए हर प्रदेश के मुख्यमंत्री को कड़ाई से पेश आना होगा। रही उत्तराखण्ड की बात तो इसे देवभूमि कहा जाता है। यहाँ तो भ्रष्टाचार का नामो-निशान नहीं होना चाहिए। पेपर लीक होना तो और भी गंभीर मसला है। यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य के प्रभावशाली लोग भ्रष्ट हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments