-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
यह मान लेने में अब किसी को संकोच नहीं करना चाहिए कि झारखण्ड और बिहार ने जिहाद के आगे घुटने टेक दिए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इन दोनों राज्यों के सेक्युलर मुख्यमंत्रियों ने संविधान के खिलाफ जाकर जिहाद के आगे बेबसी जाहिर कर दी है। यह राष्ट्रीय मुद्दा है। इन राज्यों के कुछ क्षेत्रों में स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी की जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि इन स्कूलों में इस्लाम का बोलबाला रहेगा। क्या यह सेक्युलर संविधान के खिलाफ नहीं है। क्या देश को इन दोनों मुख्यमंत्रियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए। क्या इन दोनों मुख्यमंत्रियों को अपने पदों पर बने रहने का अधिकार है। क्या ये दो मुख्यमंत्री इतनी हिम्मत रखते हैं कि सोमवार को भोलेनाथ और मंगलवार को हनुमान जी की पूजा अर्चना के लिए छुट्टियाँ कर सकते हैं। आखिर केन्द्र सरकार चुप क्यों है। संविधान पर अतिक्रमण क्यों हो रहा है। जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं वहाँ रविवार की जगह मंगलवार को छुट्टी कर दी जाए। तब तो बखेड़ा खड़ा कर दोगे पूरे देश में। जिहादी कुछ भी कर गुजरें सब चलेगा। महाराज, इस देश में यह सब नहीं चलेगा। शुक्रवार को रविवार की जगह छुट्टी नहीं होगी। यह शरिया कानून भारत में नहीं चलेगा। भारत को आप अफगानिस्तान नहीं बना सकते। शुक्रवार को छुट्टी करनी है स्कूलों की तो अफगानिस्तान चले जाइए। तुर्की चले जाइए। पाकिस्तान चले जाइए जो वास्तव में जिहादिस्तान है। बिहार और झारखण्ड में रविवार की जगह कुछ स्कूलों में छुट्टी घोषित किया जाना राष्ट्र का अपमान है। इन दो मुख्यमंत्रियों को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा असमर्थता और कायरता के आधार पर अपने पदों से त्याग पत्र दे देना चाहिए। इसके अलावा इन स्कूलों में विद्यार्थी प्रार्थना के समय हाथ भी नहीं जोड़ते बल्कि हाथों को बाँधकर रखते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो धारा-370 हटाने का लाभ क्या होगा। फिर तो धारा-370 बने रहने देते। कश्मीर में आप लोगों ने देशभक्ति दिखा दी। अपनी देशभक्ति बिहार और झारखण्ड में भी दिखा दीजिए।