-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
मोहर्रम के दिन बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के कानपुर में जिहादियों ने जिहादी तिरंगे फहरा दिए। जिहादियों ने तिरंगे के तीनों रंग जैसे के तैसे रहने दिए लेकिन बीच में से अशोक चक्र हटाकर मस्जिद और चाँद तारे वाले हरे झंडे की छाप लगा दी। जिहादियों को नुपूर शर्मा जैसे बहाने चाहिए होते हैं। उन्हें बहाने नहीं मिलेंगे तो वे बहाने तलाश लेते हैं । इसी को जिहाद कहते हैं जो 1400 सालों से धरती पर चल रहा है और चलता रहेगा क्योंकि हिन्दू एकजुट नहीं हो रहा। वह अपने स्वार्थाें में डूबा हुआ है। बहाने बना कर इन मुद्दों से पल्ले झाड़ रहा है। इसीलिए भारत में जिहाद हावी होता रहा है। अब कुछ टीवी चैनल वाले पत्रकार थोड़ा हिम्मत जुटा कर जिहाद शब्द का उच्चारण कर रहे हैं लेकिन अधिकतर न्यूज चैनल अभी भी स्वार्थों में लिप्त हैं। अखबारों, पत्र पत्रिकाओं की बात तो छोडिए। जब हमारी सरकारें ही जिहाद शब्द का उच्चारण करने से डरती हैं तो जिहाद का इलाज कैसे होगा। रही बिहार की बात तो अब वहाँ जिहादी खुल कर खेला करेंगे क्योंकि वहाँ कुछ घोर अवसरवादियों का गठबंधन हो गया है जो जिहादियों को बहुत रास आता है। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में तो मिनी पाकिस्तान बन ही चुका है। इसलिए वे मौका मिलते ही ना केवल पाकिस्तान के जयकारे लगाते हैं बल्कि जिहादी नारे भी लगाते हैं और अब तो हद ही कर दी जिहादियों ने तिरंगे के बीच मस्जिद का चित्र बना कर और चाँद तारे वाली हरियाली फैलाकर। भारत राजनीतिक दलों में बॅटा हुआ है। लोग राजनीतिक दलों में बॅट कर सोच रहे हैं। जैसे मध्य काल में लोग रजवाड़ों में बॅट कर रह गए थे। पूरी दुनिया के जिहादियों को हमारी यह कमजोरी पता है। इसीलिए वे हमें दो मोर्चाें पर लगातार ठोक रहे हैं। सीमाओं पर और देश के अन्दर। हम ठुक रहे हैं लेकिन चेत नहीं रहे।