Monday, December 9, 2024
HomeCULTURE BOXकंठ की मिठास को कहते हैं संगीता ढ़ौडियाल

कंठ की मिठास को कहते हैं संगीता ढ़ौडियाल

संगीता ढ़ौडियाल उत्तराखण्ड की सुप्रसिद्ध गायिका हैं। उनके मधुर कंठ की प्रशंसा करते लोग थकते नहीं हैं। शादी ब्याह के मौकों पर उनके सुरीले कंठ से निकले गीत धूम मचाते हैं। उनके गाये गीत कहीं दूर से कानों में पड़ जाँयें तो उन गानों की मिठास से सुनने वाले को यकीन हो जाता है कि अमुख गाना संगीता ने ही गाया होगा। महिला गायकों में अपने सुरीलेपन के लिए इनका नाम बड़े आदर से लिया जाता है। इनका जन्म 13 अक्टूबर 1979 के दिन हुआ था। ये भी मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली हैं और मौजूदा समय में देहरादून में रहती हैं। इन्हें बचपन से ही गायिकी का शौक था। इन्होंने पहली बार मंच से तब गाया था जब ये केवल पाँच साल की थीं। उत्तराखण्ड से लेकर मुम्बई तक संगीता ढ़ौडियाल को प्रसिद्धि हासिल है। ये अपने पिता को ही अपना पहला गुरु मानती हैं क्योंकि उन्होंने ही अपनी इस बिटिया को सफलता के मुकाम तक पहुँचाया। पहली और दूसरी सीढ़ी चढ़ना उन्होंने ही संगीता को सिखाया। वे भी एक गायक रहे हैं जो रंगमंच पर भी सक्रिय रहे। दिल्ली के गंधर्व विद्यालय से इन्होंने संगीत में स्नातक तक पढ़ाई की और फिर त्रिवेणी कला संगम में जाकर इन्हें अपने संगीत का निखारने का अवसर मिला। गायक शांति वीरा नन्द जी ने इन्हें संगीत में पारंगत किया। देहरादून में मुरलीधर जधुरी से भी इन्होंने संगीत के गुरु सीखे। इनकी 600 से अधिक एलबम आ चुकी हैं जिनमें गढ़वाली, कुमाऊँनी, जॉनसारी, हिमाचली, नेपाली, अवधी, भोजपुरी और हिन्दी के गीत शामिल हैं। संगीता ढ़ौडियाल उत्तराखण्ड या भारत ही नहीं अपितु संसार के कई हिस्सों में एक जानी पहचानी शख्सियत हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments