कब जागेगा भारतवर्ष
कहते हैं कि भारत के लोगों ने स्वाधीनता का संग्राम लड़ा। यह भी कहते हैं कि हम लोगों ने स्वाधीनता का संग्राम जीता। लेकिन हम सदैव आधा सच ही बोल पाते हैं। वह आधा सच भी हमारा बहुत ढीला-ढाला होता है। हम कहते हैं कि 1947 में बँटवारा हुआ। यह आधा सच भी नहीं। 1947 में हमारा देश तोड़ा गया। महात्मा गाँधी जी की सहमति से तोड़ा गया। महात्मा गाँधी, नेहरू और जिहादी जिन्ना ने मिल कर तोड़ा। आने वाले कल में यही कहा जाएगा। आने वाले कल में आप सच को नहीं छिपा पाएंगे। क्योंकि अब देश के कुछ लोग यह समझने लग गए हैं कि हर दसवें हिन्दू को छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल बनना ही पड़ेगा। तभी जाकर भारतवर्ष का भविष्य सुरक्षित रह पाएगा। आज तक का इतिहास यह चीख-चीख कर कह रहा है कि भारतीयो जाग जाओ। राजनीति कर रहे लोगों से दूर हो जाओ। राजनीति देश के बारे में चिंतित नहीं लग रही। राजनीति की चिंता है मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनना। राजनीति की चिंता है मंत्री बन कर करोड़ों अरबों कमाना और राजा बन कर रहना। बड़े अफसरों की भी यही चिंता है अपनी आने वाली पीढ़ियों को दौलत से तर बतर कर देना। स्वाथों का वातावरण घनघोर हो चला है। देश की चिंता करने वाले मुट्ठी भर हैं और ऐसे लोग अमूमन राजनीति में भी नहीं हैं। दुःख की बात है कि ऐसे लोग किसी संगठन में भी नहीं हैं। ऐसे देशप्रेमी भारतीयों को संगठन बनाने होंगे और देश के लिए वास्तविक स्वाधीनता संग्राम छेड़ना होगा। समय आ गया है कि हम वास्तविक स्वतंत्रता संग्राम की तैयारी करें और देश को जिहाद और जिहादी आतंक से मुक्त करें। हो सके तो देश को जातिवादी-रेवड़ीवादी राजनीति से भी मुक्त करें। अन्यथा हमारा देश 50 साल बाद खण्ड-खण्ड हो जाएगा। मोदी जी जैसे नेताओं का विकास धरा का धरा रह जाएगा।