राजभर की हेकड़ी भी निकल गयी
युगीन संवाद ब्यूरो
भाजपा के ताबूद में आखिरी कील ठोकने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य चारो खाने चित हो गए। स्वामी प्रसाद मौर्य कहते फिर रहे थे कि वे जहाँ खड़े हो जाते हैं वहीं से सरकार की लाइन शुरू होती है। यानी मौर्य साहब कह रहे थे कि जिसके साथ वे हो लेते हैं उसकी जीत तय हो जाती है। स्वामी प्रसाद मौर्य की गर्जना काम न आयी। मतदाताओं ने उन्हें ऐसी धोबी पाट मारी कि वे मट्टी चाटते रह गये। भाजपा को धौंस देने वाले तमाम ऐसे नेताओं की लम्बी लिस्ट है जिन्हें मतदाताओं ने तसल्ली से समय-समय पर सबक सिखाया है। शत्रुघ्न सिन्हा भी ऐसे ही एक शूरमा भोपाली हैं जो भाजपा को ताल ठोकते हुए भाजपा से बाहर गए थे और कहीं के नहीं रहे। यही दुर्दशा स्वामी प्रसाद मौर्य की होनी वाली है। पिहरका चचा के नाम से मशहूर ओमप्रकाश राजभर भी मौर्य की तरह पिछले ढाई सालों से भाजपा को मटियामेट कर देने की कसमें खा रहे थे। वे यह मानने को तैयार नहीं थे कि उनका सामना मोदी योगी की जोड़ी से है। लिहाजा, बड़ी मुश्किल से वे अपनी खुद की सीट बचा पाए। उनका लड़का अपनी सीट न बचा पाया। राजभर का गुरूर चकनाचूर हो गया। इसी तरह धर्म सिंह सैनी ने भी भाजपा को आँखे तरेरते हुए अलविदा कहा था और समाजवादी खेमे में जाकर भाजपा को ललकारा था। सैनी साहब भी जमीन पर लोटपोट नजर आए। उनकी पूरी की पूरी पहलवानी धरी की धरी रह गई। उन्हें लगा था कि लाल क्रांति उनका बेड़ा पार कर देगी किन्तु लाल क्रांति न केवल अपना बेड़ा पार करने में फेल हो गयी बल्कि उसने सैनी की नइया भी डुबो दी। बहरहाल, गोरखपुर के महाराज कुछ घंटो बाद दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। वे अपने प्रजाहित के कामों से जातपात और मजहब के बवंडर को हमेशा-हमेशा के लिए नेस्तनाबूद करने का बीड़ा उठाए हुए हैं। योगी की पुलिस बदमाशों को ठोकने के अभियान पर फिर से निकल चुकी है। योगी का बुल्डोजर मरम्मत के बाद मैदान में जा डटा है।
भाजपा के ताबूद में आखिरी कील ठोकने वाले स्वामी
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