Thursday, April 25, 2024

सुधांशु त्रिवेदी जी आँखें खोलो

-सावित्री पुत्र झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार)

भारत बहुत बुरी तरह से जिहाद की जकड़ में है। जिहाद का मकड़जाल इतना तगड़ा है कि इसे तोड़ पाना तो भगवान राम के बस में भी नहीं है। इस मकड़जाल की खासियत यह है कि इसे समझने में कई साल लग जाते हैं। वह इसलिए क्योंकि यह एक भूलभुलैया की तरह है। इस भूलभुलैया में हिन्दुओं की कई पीढ़ियाँ उलझ कर रह गयीं। ऐसे शूरमाओं की संख्या नगण्य है जो इस भूलभुलैया के चक्रव्यूह को तोड़ पाते हैं। अच्छे-अच्छे विद्वान और समझदार इस चक्रव्यूह को नहीं भेद पाते। पिछले चौदह सौ सालों में इसी चक्रव्यूह ने साठ मुसलमान देश बना दिए। आने वाले समय में कई मुसलमान देश और बनने वाले हैं। हिन्दू तो पचास साल बाद हिन्दू कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। हिन्दू के साथ यही समस्या है। वह सच सुनने को तैयार नहीं। भाजपा के एक ऐसे ही विद्वान हैं जो विद्वता में निराले हैं लेकिन वे कहते हैं कि आने वाला समय हिन्दुओं का है। यह झूठ की बुनियाद पर खड़ा दावा है। जिस रफ्तार से भारत मिट रहा है वह रफ्तार और तेज होती जा रही है। यदि भौतिक शास्त्र की भाषा में बात करें तो इस रफ्तार को त्वरण कहा जाएगा। 1947 में मुस्लिम जिहाद ने देश को खण्डित किया। चार करोड़ मुसलमान यहीं रह गए। वे यहाँ इसलिए नहीं रह गए कि वे भारत से प्रेम करते थे। वे यहाँ इसलिए रह गए क्योंकि उन्हें इस देश में रह कर जिहाद करना था। इस सच को झुठलाने से जिहाद को ताकत मिल रही है। भारत का सबसे बड़ा शत्रु जिहाद नहीं स्वयं हिन्दू है। उसे लगता है कि वह जिहादी मुसलमानों की हरकतों को नजरअंदाज कर समझदारी का परिचय दे रहा है। दरअसल, वह ऐसा करके आने वाले 1947 की पृष्ठभूमि तैयार करने में मदद कर रहा है। समय आ गया है कि जिहाद पर सीधा प्रहार किया जाए। भारत में कई तरह के जिहाद काम पर हैं। जमीन जिहाद, लड़की जिहाद, मस्जिद जिहाद, मकबरा जिहाद, मजार जिहाद, जुम्मा जिहाद और ना जाने कितने तरह के जिहाद। हिन्दू शुतुरमुर्ग की चाल चल रहा है। कहते हैं जब शुतुरमुर्ग को लगता है कि उस पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है तो वह अपनी चोंच मिट्टी में गाड़ देता है। ऐसा करके उसे लगता है कि वह बच गया। जब कि यह उसकी मौत की वजह बन जाता है। यही हाल हिन्दू का है। वह सौंगन्ध खा चुका है कि हिन्दू राष्ट्र की जड़ें खोद देगा। कैसी विड़म्बना है कि हिन्दू अपने हिन्दुओं की जड़ों पर प्रहार कर रहा है। जो राष्ट्र कभी अफ्रीका महाद्वीप से जापान की सीमाओं तक हुआ करता था। मध्य एशिया से श्रीलंका तक जिसका दबदबा था वह राष्ट्र अब सिकुड़ कर रह गया है। हम विश्व बन्धुत्व का कीर्तन कर रहे हैं और जिहादी हमें ठोकते जा रहे हैं। हम ना तो अपने मंदिरों को बचा पा रहे हैं और ना ही अपनी बेटियों को। ऐसी स्थिति में हिन्दू अपनी माटी की रक्षा कैसे करेगा ? भाजपा के विद्वान नेता सुधांशु त्रिवेदी खुशफहमी के शिकार हैं। ऐसा नहीं है तो वे झूठ बोल रहे हैं। जो भी हो स्थितियाँ दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इस सबके बावजूद कल का दिवस बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रभक्त हिन्दुओं को बधाई।

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