-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
खबर की सच्चाई पर दावा नहीं है लेकिन खबर की अच्छाई पर पूरा दावा है। सुनने में आया कि पुलिस के लगभग 500 लोग काँवड़ियों के वेश में जगह-जगह ड्यूटी कर रहे थे। हमें तो लगा कि भोले नाथ की कृपा से अपार भीड़ के बावजूद शांति रही। लेकिन, ये 500 पुलिस काँवड़िए तो भोले बाबा के भेजे हुए नहीं थे बल्कि उत्तराखण्ड के डीजीपी अशोक कुमार द्वारा भेजे हुए थे। तभी तो अनगिनत भोले बाबा भक्तों के बीच भी ऐसे लोग थे जो खुफिया तरीके से न केवल सामंजस्य स्थापित कर रहे थे बल्कि असामाजिक तत्वों पर भी कड़ी नजर रख रहे थे। किसी भी राज्य की पुलिस किसी भी बड़े काम को तभी शांति से सम्पन्न कर सकती है जब खुफिया पुलिस अपना काम समर्पण से करे।
बीते दो वर्षाें में कोरोना का आतंक छाया रहा। काँवड़िया मेला स्थगित रहा। गुजरे दो सालों का ठहराव विस्फोट बनकर इस बार सामने आया। इस बार बहुत बड़ी संख्या में भोले के भक्त भोले की डाक लेकर आए और हरिद्वार में समुद्र बनकर लहराने लगे। गंगा माता भी अचरज में पड़ गई होंगी। बहरहाल, पुलिस और हरिद्वार के स्थानीय प्रशासन की मेहनत रंग लाई। किसी दुर्घटना से सामना नहीं हुआ। काँवड़ियों के लिए जगह-जगह जलपान और भोजन का प्रबंध भी किया गया था। कई संगठन और समाज सेवी काँवड़ियों की सेवा के लिए आगे आए।
काँवड़ियों ने भी शांति बनाए रखने में अपना योगदान दिया। जिसके फलस्वरूप विशाल काँवड़ कुम्भ का पूरे जोश के साथ आरम्भ हुआ पूरी शांति के साथ समापन हुआ। दिल्ली, उत्तरप्रदेश, गुजरात , पंजाब, हरियाणा , राजस्थान और मध्यप्रदेश से भी काँवड़िए अपनी डाक लेकर आए थे। इसे काँवड़िया महाकुम्भ भी कहा जा सकता है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक के मार्गदर्शन को सराहनीय कहना उचित होगा।