-सावित्री पुत्र झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार)
6 दिसम्बर 1992 के पावन दिन श्री अयोध्या में भारतीय सनातन संस्कृति की छाती पर खड़ी बाबरी इमारत को ध्वस्त किया गया था। इस कलंक मिटाओ अभियान में योगदान देने वाले राष्ट्र भक्तों को जितना भी सराहा जाए वह कम ही होगा। राष्ट्र भक्त वही होगा जो राम भक्त होगा। क्योंकि राम ही राष्ट्र हैं और राष्ट्र ही राम है। यह सच्चाई जिहादी तो जानते हैं लेकिन नालायक हिन्दू इस सच्चाई को जानना नहीं चाहते। समय आ गया है कि राम भक्ति से ओतप्रोत पत्रकारिता की जाए। जिस पत्रकारिता से भारत राष्ट्र बच सके वही पत्रकारिता मान्य होनी चाहिए। वही साहित्यकारिता भी मान्य होनी चाहिए जो राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत हो। राष्ट्र विमुख पत्रकारिता और राष्ट्र विमुख साहित्यकारिता को गाड़ देने का समय आ गया है। बेहतर हो ऐसे लोगों को भस्म कर दिया जाए जो इस राष्ट्र के लिए भस्मासुर बनते जा रहे हैं। राम भक्तों ने 1992 में अपनी पीड़ा को प्रकट किया था। कैसी विडम्बना है कि हिन्दू को अपने राष्ट्र में अपने ढंग का मक्का मदीना बनाने का अधिकार नहीं है। ये कैसी दादागिरी है ? ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हिन्दू होना पापी होने के समान है। हमारे मक्का मदीना हमें वापस नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे संविधान का क्या लाभ। ऐसी संसद का क्या लाभ। ऐसी न्याय व्यवस्था न्याय संगत कैसे हुई। हमारी पीढ़ियों के मस्तिष्क को हमारे संविधान ने बंजर बना दिया है। हमारे बच्चे ऐसी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जो उन्हें राष्ट्र और राष्ट्रीयता से विमुख कर रही है। ऐसी पीढ़ियों को रोजगार मिल जाने का क्या लाभ है। पशु भी पेट भर लेते हैं और पल लेते हैं। एक भारतीय और पशु में क्या अंतर रह गया। हम सुबह से शाम तक सनातन संस्कृति की बातें तो करते हैं। भजन कीर्तन भी करते हैं। किन्तु क्या हम अपने नौनिहालों को राष्ट्र और राष्ट्रीयता के बारे में कुछ बताते हैं ? क्या हम उन्हें बताते हैं कि हमारी पाठ्य पुस्तकों में ब्रिटिश और इस्लामी पराधीनता को मान्यता दी जा रही है। विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क में यह बीजारोपण किया जा रहा है कि ये शक्तियाँ निर्माणकारी थीं विध्वंसक नहीं। हमारे बच्चे पराधीनता की शिक्षा ले रहे हैं। जरा पाठ्य पुस्तकें उलट पुलट कर देखो। जब हमारे नौनिहाल ही स्वभाव से परदेशी हो जाएंगे तो श्री अयोध्या में बाबर के कलंक को धोने का क्या लाभ। हमें चेतना होगा। बहुत देर हो चुकी है। नई पाठ्य पुस्तकों की रचना करो। पराधीन मानसिकता वाले बच्चे आसानी से जिहादियों के शिकार हो जाएंगे। गजवा-ए-हिन्द कामयाब हो जाएगा। हिन्दू मिट जाएगा। वैसे भी केजरीवाल, कांग्रेस, वामपंथी, मुलायमपंथी, लालू पंथी और नीतिशपंथी इस राष्ट्र को जिहाद पंथ के हवाले कर ही चुके हैं। थोड़ी सी आशा भाजपा से है। कुछ समय बाद यह आशा भी विलुप्त हो जाएगी।