कब होगा पूरा का पूरा कश्मीर हमारा
-वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून
यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया। रूस का तर्क है कि वह अपने देश की सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त कर लेना चाहता है। वह नहीं चाहता कि नेटो की सेनाएं उसके बोर्डर पर डटें। यूक्रेन नेटो का सदस्य बनने की जुगत में था। यह रूस को रास नहीं आ रहा था। पिछले सात-आठ सालों से इस मुद्दे को लेकर टकराव चल रहा था। रूस को जब लगा कि यूक्रेन अपनी जिद्द नहीं छोड़ेगा तो उसने यूक्रेन पर धावा बोल दिया। अब यूक्रेन चरमरा उठा है। आखिर, वह अकेला कब तक रूस जैसी महाशक्ति का मुकाबला कर सकता है। भारत ने इस धर्मसंकट से उबरकर निंदा प्रस्ताव से किनारा कर लिया है। रूस भारत की मजबूरी समझता है। उसे पता है कि भारत का निंदा प्रस्ताव से किनारा करना कोई मामूली कदम नहीं है। क्या भारत भी पाकिस्तान के छद्म युद्ध को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए अपने हिस्से के कश्मीर को छुड़ाएगा। वह हिस्सा जो पाकिस्तान के कब्जे में है उसने उसे 1948 में हथियाया था। उसे वापस लेना भारत का नैतिक कर्तव्य है। जिसके लिए भारत को ताकत का इस्तेमाल तो करना ही पड़ेगा। ऐसी स्थिति में जब भारत ताकत का इस्तेमाल करेगा तब रूस भारत का साथ देगा। इसलिए भारत ने निंदा प्रस्ताव से अलग रहकर अच्छा कदम उठाया है। हालाँकि, यूक्रेन का तहस-नहस होना सबके लिए पीड़ा की बात हैं। किन्तु जब नेटो ने ही यूक्रेन का साथ छोड़ दिया। सीधे-सीधे कहें तो उसे धोखा दे दिया तो ऐसे में भारत के लिए कोई रास्ता नहीं बचता। बेकार ही भावना में आकर उठाया गया कदम देश के लिए हानिकारक हो सकता था।