Thursday, November 21, 2024
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सागर गिरी आश्रम मामले में हत्या के प्रयास की धारा दर्ज

-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़), पत्रकार,देहरादून

-9528727656

एफआईआर संख्याः 0333

बीते दिन तेगबहादुर मार्ग स्थित सागर गिरी महाराज आश्रम के श्रद्धालु आक्रोश में आकर डालनवाला थाने जा धमके थे। ये श्रद्धालु सागर गिरी आश्रम के एक प्रतिनिधि अशोक रावत पर जान से मारने के हमले को लेकर आक्रोश में थे। पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने में लगातार आनाकानी कर रही थी।   पहले भी कई वारदातें पीड़ित पक्ष पर अंजाम दी गईं लेकिन पुलिस लगातार टालमटोल करती रही। अब जबकि बीते शनिवार रात्रि लगभग 10 बजे एक पुरोहित सुनील बहुगुणा ने अशोक रावत पर मदिरापान करने के बाद इरादतन जान से मारने के लिए हमला किया तो अशोक रावत ने अचानक हुए इस हमले में सूझबूझ का परिचय देते हुए किसी तरह खुद की रक्षा की। इस हमले के दौरान मंदिर परिसर में हमले का एक साक्षी भी मौजूद था। इसे लोग ब्रह्मचारी कहते हैं। लेकिन अगर इसके कारनामों को खंगाला जाए तो यह यकीनन दुराचारी निकलेगा। बहरहाल, जब अशोक पर हमला हुआ तो यह कथित ब्रह्मचारी खींसे निपोर रहा था अर्थात् हँस रहा था। यदि यह कथित ब्रह्मचारी चाहता तो सुनील बहुगुणा के हमले को टाला जा सकता था। इससे यह सिद्ध होता है कि दोनों की मिलीभगत थी। दुर्भाग्य से घबराए हुए अशोक ने केवल हमला करने वाले का नाम लिया और हमले में मददगार पर मौन रह गया। 17 वर्ष का अशोक रावत अभी भी बहुत घबराया हुआ है। अगर यह पीड़ित कथित ब्रह्मचारी का नाम ले लेता तो पुलिस छानबीन होने पर पूरा माजरा साफ हो जाता। चलिए, कम से कम पुलिस ने पीड़ित पक्ष के लोगों के आक्रोश के बाद ही सही किन्तु प्राथमिकी तो दर्ज की। सुनील बहुगुणा पर धारा 307 और 323 के तहत मामला पंजीकृत कर लिया गया है। धारा 307 हत्या के प्रयास और धारा 323 घातक हथियार से हमला करके किसी को घायल कर देने पर लगती है। अब पीड़ित पक्ष पुलिस की ओर टकटकी लगाकर देख रहा है कि धाराएं दर्ज करने के बाद क्या पुलिस यथोचित कार्रवाई करती है ? यह सुनील बहुगुणा अपराधी प्रवृत्ति का पुजारी है। इसका मंदिर के चढ़ावे में हिस्सा रहा है। इस पर आश्रम की जमीन हड़पने की कोशिश में लगे लोगों का साथ देने का भी शक है। हालाँकि, कथित ब्रह्मचारी और यह कथित व्यास सुनील बहुगुणा दोनों ही जमीन हड़पने वालों के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। अगर पीड़ित अशोक रावत ने पूरा सच बताया होता तो मामला और अधिक संगीन होता। जमीन हड़पने की कोशिश में जुटे लोग भी लपेटे में आ सकते थे। खैर, बकरे की नानी कब तक खैर मनाएगी। यदि पुलिस ने अब उचित कार्रवाई नहीं की तो आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुलिस के खिलाफ नारेबाजी को मजबूर हो सकते हैं। फिलहाल, देखते हैं कि पुलिस क्या करती है। पुलिस को अपना दायित्व निभाना चाहिए। बाकी, कोर्ट निर्णय लेगा।

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