-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़), पत्रकार, देहरादून
विश्व हिन्दू परिषद् के नेता सर तन से जुदा के खौफ के साए में जी रहे लोगों के लिए हैल्प लाईन नम्बर जारी कर रहे हैं। ये नेता कह रहे हैं कि बजरंग दल ऐसे लोगों की मदद करेगा जो सर तन से जुदा जिहाद वालों के कारण खतरे में हैं। विश्व हिन्दू परिषद् का यह काम सराहनीय है। लेकिन, विश्व हिन्दू परिषद् जैसी सामाजिक संस्था को लोगों को जिहाद को लेकर जागरूक करना चाहिए। विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल को मिलकर यह काम करना चाहिए। भारत के बच्चे-बच्चे को जिहाद और जिहादी आतंक की पूरी जानकारी होनी चाहिए। भारत के बच्चे-बच्चे को आत्मरक्षा के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए। पढ़ाई के साथ-साथ यह काम होते रहना चाहिए। भारत को एक हजार साल की दासता वाली मानसिकता छोड़ देनी चाहिए। भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए। क्या हम सैक्युलर संविधान की छाया में सुरक्षित हैं। पिछले 73 सालों का अनुभव यह सिद्ध करता है कि भारत में हिन्दू असुरिक्षत है। अदालतें भी हिन्दू को ही प्रताड़ित कर रही हैं। कुछ राजनीतिक दल हिन्दू को आतंकवादी घोषित करने में लगे हुए है। पूरे संसार में चल रहे जिहादी आतंक के बावजूद ऐसा किया जाना इस बात का प्रमाण है कि भारत का हिन्दू खतरे में है। जिहाद और जिहादी आतंक की मानसिकता वालों को राजनीति खुराक दे रही है। ऐसी राजनीति देश के लिए खतरनाक है। राजनीतिक दलों को दुष्टिकरण के कुकर्म से बाज आ जाना चाहिए। आज हिन्दू की ऐसी दुर्गति हो गई है कि उसे अपने भगवानों की पूजा के लिए अदालतों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। आखिर यह नौबत क्यों आई। मुगल काल और सल्तनत काल में भी तो यही हो रहा था। फिर हम खुद को आजाद कैसे कह सकते हैं। भारत संसार में ऐसा इकलौता देश है जिसका बहुसंख्यक दोयम दर्जे का नागरिक बन चुका है। बहुत बुरी स्थिति है। किसी राजनीतिक दल में इतनी हिम्मत नहीं कि वह खुलकर जिहाद और जिहादी आतंक के कहर को डंके की चोट पर जिहाद कह सके। विश्व हिन्दू परिषद् को आर.एस.एस वाली विनम्रता छोड़ देनी चाहिए। यह विनम्रता किसी काम की नहीं है। आर.एस.एस अपनी प्रसांगिकता खोता जा रहा है। आर.एस.एस मुस्लिमों को लुभाने का लालच छोड़ कर कड़ाई से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए पहल करे। डीएनए एक है चिल्लाने से हिन्दू का भला नहीं होने वाला है। इन घिसी-पिटी बातों को छोड़ कर आर.एस.एस को रचनात्मक आक्रामकता अपनानी होगी। जिहाद को जिहाद और जिहादी आतंक को जिहादी आतंक ही कहना पड़ेगा। अन्यथा, देश पर जिहाद और अधिक हावी हो जाएगा। समय रहते हमें सँभलना होगा। अगर हम मरने से डरते रहें तो हम भारत में मचे जिहादी घमासान को तहस-नहस नहीं कर पाएंगे। विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल को साबित करना होगा कि उनकी कोई प्रासांगिकता है।