Thursday, October 31, 2024
HomeUncategorizedजी.ई.पी का शुभारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य: धामी

जी.ई.पी का शुभारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य: धामी

देहरादून (सू0वि0)। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में पारिस्थितिकी को अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए ‘‘उत्तराखण्ड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक’’ (जी.ई.पी) लॉच किया। जी.ई.पी का शुभारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है। उत्तराखण्ड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक का आंकलन 04 मुख्य घटकों जल, वायु, वन और मृदा के आधार पर किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.ई.पी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जी.ई.पी लागू होने से इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा। इस सूचकांक के परिणामों के विश्लेषण से भविष्य में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में और जागरूकता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रकृति प्रदत्त अनेक प्रकार की वन संपदा है, आवश्यकता है इनके सदुपयोग की। हमें वृक्षारोपण के साथ जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड दुनिया को पर्यावरण के क्षेत्र में दिशा देने का कार्य करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में राज्य में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में अमृत सरोवरों की संख्या में तेजी से वृद्धि की जा रही है। जिलाधिकारियों, वन विभाग, सारा और अन्य कार्यदाई संस्थाओं को इनके संरक्षण और जल स्तर बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई से 15 अगस्त तक राज्य में बृहद स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत 01 लाख 64 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। हरेला पर्व के दिन 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। जनसहभागिता से भी वृक्षारोपण किया जा रहा है। बैठक में हैस्को संस्था के प्रमुख पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक का प्रस्तुतीकरण करते हुए अवगत कराया गया कि विभिन्न विकासपरक योजनाओं, औद्योगिक प्रक्रियाओं व सरकार द्वारा बनाये गये नियमों इत्यादि के अनुपालन का जो परिणाम है वह सकल रूप से हमारी स्थानीय पर्यावरणीय गुणवत्ता पर देखने को मिलता है। पर्यावरणीय कारकों में हवा, पानी, मिट्टी, जंगल और अन्य कारकों में अगर सुधार हो रहा हो तो जीईपी सूचकांक में वृद्धि देखने को मिलती है। इससे ज्ञात होता है कि हमारा सिस्टम पर्यावरण के अनुकूल है और विकासात्मक गतिविधियों के बावजूद भी यह स्थिर और सुधारात्मक है। यदि हमारी पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है और उसमें कोई गिरावट दिखायी दे रही है या उसमें कोई नकारात्मकता दिखायी दती है तो इससे जीईपी सूचकांक में गिरावट देखने को मिलती है। इस अवसर पर वन मंत्री सुबोध उनियाल, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद  विश्वास डाबर, मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव  आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -


Most Popular

Recent Comments