Tuesday, July 1, 2025
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The Kashmir Files, A Poem

द कश्मीर फाइल्स

The Kashmir Files

वीरेन्द्र देव, पत्रकार, देहरादून

पीता है तू खून
चीरता है औरत तक को तू लक्कड़ जैसा
आरे से
बलात्कार में दिखती तुझको जन्नत
खून-खराबे में तू
रंगत पाता है
यही करता आया है तू
चौदह सौ सालों से
यही किया तूने कश्मीर में
सरकार की संगत से
कहते हैं जिहाद तुझको
तू जीता है बहत्तर हूरों की मन्नत से
निगल रहा है तू देश मेरा बारी-बारी
तेरा चहुमुखी विनाश है जारी
कब रूका है तू किसी के रोके
किसमें हिम्मत है जो तुझे टोके
तू तो आज भी बहुसंख्यक पर है भारी
शोला है तेरा एक-एक नर और नारी
बदलेगा नहीं हिन्दू खुद को तो
हिन्दू की हैसियत खाक में मिल जाएगी सारी की सारी।

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