-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव),पत्रकार,देहरादून
राम कृष्ण प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों की जाँच जरूरी है। मोदी सरकार से पहले हाय तौबा मचाई जाती थी कि मुस्लिम शिक्षा से वंचित हैं। वे बहुत गरीब हैं। इन दावों की पड़ताल होनी चाहिए। अगर मुस्लिम शिक्षा से वंचित हैं तो उत्तर प्रदेश में मदरसों की इतनी बड़ी संख्या किस काम की। क्या छाती पीटने वाले यह कहना चाह रहे कि मदरसों की संख्या कम है। या वे यह कहना चाह रहे कि मदरसों में सही शिक्षा नहीं दी जा रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि ये लोग केवल राजनीति करना चाहते हों ताकि मुसलमानों के वोट हासिल हो सकें। योगी सरकार मदरसों का सर्वेक्षण शुरू कर चुकी है। ऐसे मदरसे जो पंजीकृत नहीं हैं और सरकारी सहायता से जिनका लेना देना नहीं है। ऐसे मदरसों की वास्तविकता सामने आनी चाहिए। बल्कि सभी मदरसों की वास्तविकता सामने आनी चाहिए। अगर कुछ गड़बड़ नहीं है तो किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। योगी जी बिल्कुल सही काम कर रहे हैं। यह काम तो पहले कार्यकाल में ही हो जाना चाहिए था। सरकार को किसी भी शिक्षा संस्थान में जाँच करने का अधिकार है। जिहादी मानसिकता के लोग विरोध कर रहे हैं तो करते रहेें। इनके विरोध का कोई कारण समझ में नहीं आ रहा है। एक ही कारण हो सकता है कि इन मदरसों में जिहादी मानसिकता परोसी जा रही है। अन्यथा, विरोध का क्या कारण हो सकता है। मनमर्जी का अधिकार किसी को नहीं है। वैसे तो मजहब के नाम पर शिक्षा का अधिकार होना ही नहीं चाहिए था। अगर संविधान में ऐसा प्राविधान है तो यह प्राविधान देश के खिलाफ जा रहा है। राष्ट्रीय संस्कृति में किसी विशेष मजहब के लिए किसी विशेष प्राविधान की छूट मिलना बहुत खतरनाक है। देश का पहला शिक्षा मंत्री जिहादी मानसिकता से लबरेज था। उसने वामपंथी नेहरू के साथ मिल कर जो खिचड़ी पकाई उसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है। देश को गुलामी की इस मानसिकता से मुक्त करना बहुत जरूरी है।