Thursday, November 21, 2024
Homeधर्ममहंत अनुपमानंद गिरी महाराज की चिंताएं

महंत अनुपमानंद गिरी महाराज की चिंताएं

साभार-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

बीते रविवार तेरह नवम्बर के दिन तेगबहादुर मार्ग स्थित सागर गिरी महाराज आश्रम से देहरादून के चार सिद्ध धामों के लिए लगभग 200 श्रद्धालु धार्मिक यात्रा पर निकले थे। हालाँकि, कालू सिद्ध धाम, लक्ष्मण सिद्ध धाम, मानक सिद्ध धाम और माडू सिद्ध धाम के साथ श्रद्धालुओं को कड़वा पानी स्थित हरिओम आश्रम धाम के दर्शन का भी लाभ मिला था और श्रद्धालु इस धार्मिक यात्रा से बहुत प्रसन्न और संतुष्ट थे किन्तु यह धार्मिक यात्रा कई तरह से श्रद्धालुओं के लिए लाभप्रद रही। महंत अनुपमानंद गिरी महाराज तीन बसों में चरणबद्ध तरीके से उपस्थित रहे। हमने उनके अन्दर एक जिज्ञासा देखी। उनकी जिज्ञास थी कि श्रद्धालुओं को इस धार्मिक यात्रा का अधिक से अधिक लाभ मिले। वे रोज-रोज की खट-पट और खींचतान से मुक्त रह कर ईश्वरीय शक्ति का भरपूर आभास कर सकेें। हमारी सनातन संस्कृति का ध्येय यही है। इसलिए, महंत जी बसों में बैठ कर नहीं बल्कि लगातार खड़े रह कर स्वयं के कष्टों की परवाह न करते हुए श्रद्धालुओं को भजन कीर्तन और सत्संग का लाभ प्रदान करते रहे। हमने तो उनके अन्दर ईश्वर के दूत के साक्षात् दर्शन किए। उन्होंने इसी बीच हमें यह भी बताया कि हम कई राज्यों में अल्पसंख्यक बन चुके हैं। यह चिंता का विषय है। चिंता इसलिए क्योंकि हिन्दू उग्र नहीं होता। हिन्दू रक्षात्मक होता है। इसीलिए, इतिहास गवाह है कि हिन्दू लगभग नौ सौ साल दास रहा। जिसमें 200 साल अंग्रेजों की दासता शामिल है। ऐसी सहनशक्ति किस काम की। हालाँकि, महंत जी ने तो केवल यही कहा कि हम कुछ राज्यों में अल्पसंख्यक हो चुके हैं। बाकी विश्लेषण तो हमारा है। लेकिन सवाल ये उठता है कि पत्रकार होने के नाते हम देश के हित में बोली गई हर बात को ठीक उसी तरह से चुग लें जिस तरह हंस मोती चुग लेता है। पत्रकार वही है जिसका हृदय राष्ट्र के लिए धड़के। पत्रकार वही है जो राष्ट्र के लिए बलिदान हो जाए। रही महंत जी की बात तो महंत जी जन सेवा को नारायण सेवा समझते हैं। लेकिन हम भी जन सेवा करने वालों को नारायण समझते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments