सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला(वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार 9528727656)
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती राष्ट्र के लिए जो कार्य कर रहे हैं वह पराक्रम की श्रेणी में आता है। ऐसे समय में जब भारत के अन्दर एक मजहब सनातन धर्म को तरह-तरह से ठेस पहुँचा रहा हो। हर समय बल्कि हर पल वह सब कुछ कर रहा हो जो मूलरूप से राष्ट्र विरोधी है। यह मजहब भारत में दिन रात अपने काम पर लगा हुआ है। भारत ही नहीं संसार के लगभग सभी हिस्सों में यह मजहब बखेड़ा खड़ा किए हुए है। हम तो आज ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहाँ से जाने वाला हर रास्ता तबाही की ओर जाता है। यह मजहब सन् 1947 में देश तोड़ कर भी शांत नहीं हुआ। शांत कैसे होगा ? इस मजहब में शांति का बीज ही नहीं है। इसी मजहबी तूफान के दम पर ये लोग 57 से अधिक देश बना चुके हैं। फिर भी इनकी बेचैनी कम नहीं हो रही है। हमारा संविधान घूम फिर कर इन्हीं का पक्ष लेता है। जब देश टूटा तब वहाँ के हिन्दुओं पर लगातार अत्याचार हुए। बल्कि भीषण अत्याचार हो रहे हैं। जब देश टूटा था तब जिहादिस्तान में 16 प्रतिशत हिन्दू थे। आज वहाँ हिन्दू का प्रतिशत मुश्किल से 3 पर आ गिरा है। ना दुनिया वालों को कोई चिंता है और ना भारत की सरकार को कोई चिंता है। जिहादिस्तान से किसी तरह अपनी इज्जत आबरू बचा कर जो हिन्दू भारत आए वे आज भी बेघर हैं। ना तो संविधान को उनकी चिंता है। ना सुप्रीम कोर्ट को उनकी चिंता है और ना भारत सरकार को ही उनकी चिंता है। ये दुर्दशा है भारत में हिन्दू की जिसके पास पूरी दुनिया में केवल एक राष्ट्र है। हिन्दू को आज बहुसंख्यक कह कर प्रताड़ित किया जा रहा है। वे मजे में हैं जिनके इस दुनिया में कम से कम 57 देश हैं। बताइए, क्या यह सच्चाई यह सिद्ध नहीं करती कि हिन्दू होना पाप के बराबर हो गया है। इसलिए, स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती जी आप पराक्रम कर रहे हैं। आप अपना पिण्डदान कर चुके हैं। आज भारत को ऐसे ही संतों की आवश्यकता है जो अपने निजी उद्धार के बजाए हिन्दू का उद्धार करें। हिन्दू अपने ही राष्ट्र में सुरक्षित नहीं है। वे कहते हैं कि 2047 तक वे भारत का मुस्लिम राष्ट्र बना देंगे। यह सही नहीं है। दरअसल, भारत आने वाले 10 साल में ही मुस्लिम राष्ट्र बन जाएगा क्योंकि हिन्दू सच स्वीकार करने को तैयार ही नहीं है। हिन्दू कैराना को नाटक समझता है। हिन्दू कश्मीर को सपना मान कर चलता है। हिन्दू बंगाल के धूलागढ़ और मालदा में हुए जिहाद को मजाक मानता है। हिन्दू केरल में हिन्दू के अल्पसंख्यक हो जाने को गलत मानता है। हिन्दू यह मानने को तैयार ही नहीं है कि हरियाणा का जनपद मेवात पूरा का पूरा पाकिस्तान यानी जिहादिस्तान बन चुका है। स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती जी आप सचमुच पराक्रम कर रहे हैं। आप घर वापसी मिशन के महान कार्य को सार्थक कर रहे हैं। आप जो कर रहे हैं वह पराक्रम से भी बढ़ कर है। आप कहते हैं कि आप खून की अंतिम बूँद तक यह काम करते रहेंगे। आप कई मुस्लिम महिलाओं को हिन्दू धर्म में ला चुके हैं। आप कई पुरूषों की भी घर वापसी करा चुके हैं। यदि आप जैसे सौ स्वामी भारत को मिल जाएं तो शायद भारत बच जाएगा। स्वामी जी आपको कोटि-कोटि नमन्। वंदे मातरम्। गऊ गंगा की जय हो। सनातन धर्म की जय ।
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का पराक्रम
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