-वीरेन्द्र देव गौड़
रामकृष्ण प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश में एक पुलिस वाला महज पुलिस वाला नहीं है बल्कि वह महारथी है। एक ऐसा महारथी जो पुलिस की वर्दी का सम्मान बढ़ा रहा है। वह पुलिस में किसी बिचौलिए की भूमिका में नहीं है। जैसा कि अधिकतर पुलिस वाले होते हैं। यह पुलिस वाला एक सचमुच का पुलिस वाला है। जिसे मीडिया तरह-तरह के नाम दे रहा है। यह पुलिस वाला किसी महारथी से कम नहीं है। अनिरूद्ध सिंह अभी तक 26 एनकाउंटर कर चुके हैं। जिनमें कुछ नक्सली और कुछ आतंकवादी भी शामिल हैं। इन्होंने पहला एनकाउंटर गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के शूटर झुना राय का किया था। एक अपराधी ने धरपकड़ के दौरान स्वयं को बचाने के लिए इन्हें गोली मार दी थी। इन्होंने बहते खून की धारा को हाथ से दबाया और उसके पीछे भागे तथा उसे मौत के घाट उतार दिया। हालाँकि, इस वीरता के लिए उन्हें तरीके से सम्मानित नहीं किया गया। यह इनके साथ अन्याय था। इन्हें इस वीरता के लिए सम्मानित किया जाना आवश्यक था। नक्सली और आतंकी इनके नाम से ही भयभीत हो जाते हैं। जब इन्होेंने 2007 में माओवादी कमान्डर संजय कौल को धाराशायी किया तो इन्हें पदोन्नति मिली। इन्होंने क्राइम ब्रांच में भी काम किया। इनकी वीरता और निर्भयता को देखते हुए इन्हें 2020 में डीएसपी बना दिया गया। एक बार ड्यूटी के दौरान इन्हें फिल्म की शूटिंग की हिफाजत का जिम्मा सौंपा गया। डायरेक्टर ने कैमरामैन को शूटिंग का आदेश दिया तो यकायक अनिरूद्ध सिंह कैमरे में आ गए। डायरेक्टर ने जब कैमरे में झाँका तो एक शानदार व्यक्तित्व के पुलिस वाले को देख कर वे बहुत प्रभावित हुए। शूटिंग के बाद डायरेक्टर ने अनिरूद्ध सिंह से बात की और उन्हें बताया कि वे उनके कैमरे में कैद हो चुके हैं। क्या वे फिल्म में काम करना चाहेंगे। इस तरह इनका फिल्मी कैरियर भी शुरू हो गया। अनिरूद्ध सिंह कई फिल्मों में पुलिस की भूमिका निभा चुके हैं। तेलगू भाषा की फिल्म डॉक्टर चक्रवर्ती में इन्होंने सहायक पुलिस आयुक्त की भूमिका निभाई। यह फिल्म 2017 में रिलीज हुई थी। इन्होंने मुम्बई के फिल्म अभिनेताओं संजय दत्त, अजय देवगन और शंकर पाण्डेय के साथ काम किया है। मूलरूप से जिला जालौन के निवासी अनिरूद्ध सिंह एक साहसी पुलिस वाले के साथ-साथ समाजसेवी भी हैं। वे गन से तो बात करते ही हैं मन से भी बात करते हैं। वे लोगों को कानून के हिसाब चलने के लिए प्रेम से समझाते भी हैं। वे कई लोगों को प्रेम से भी रास्ते पर ला चुके हैं। उन्हें इस बात का घमण्ड कतई नहीं है कि वे एक होनहार और साहसी पुलिस वाले हैं। उन्हें इस बात का भी गर्व नहीं है कि वे बेहद ईमानदार हैं। वे बहुत सहज अंदाज में रहते हैं। अगर यह कहा जाए कि अनिरूद्ध सिंह एक आदर्श पुलिस वालें हैं तो शायद तर्क संगत होगा। 2005 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, जौनपुर और चन्दौली में अपने कार्यकाल के दौरान वे बहुत लोकप्रिय हो गए थे क्योंकि वे पुलिस का दायित्व बहुत अच्छी तरह समझते हैं। वे अपने समय का पूरा इस्तेमाल अपना कर्तव्य निभाने में करते हैं। जैसी बहादुरी हम फिल्मी परदे पर पुलिस वालों की देखते हैं वे वैसे ही बहादुर हैं। लेकिन यथार्थ में। अनिरूद्ध सिंह जैसे कर्तव्यपरायण पुलिस वाले यदि 10 प्रतिशत भी हों तो राजनीतिक दलोें की मनमानी ना चल पाए। लेकिन, ऐसा नहीं हो पा रहा है। अनिरूद्ध सिंह जैसा साहस बहुत कम पुलिस वालों में होता है। इन बहुत कम पुलिस वालों में से गिने चुने ही पुरूषार्थ दिखा पाते हैं। अन्यथा, पुलिस वाले कमजोर को दबाते हैं और ताकतवर से दब जाते हैं। रामकृष्ण प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश में तो एक पुलिस वाला ऐसा है जो पूरी पुलिस फोर्स का मान बढ़ा रहा है। लेकिन उत्तराखण्ड में ऐसा एक भी पुलिस वाला दिखाई नहीं पड़ता। अगर कोई ऐसा पुलिस वाला है जो वर्दी का इतना सम्मान करता हो तो ऐसे पुलिस वाले की हमें जानकारी होनी चाहिए ताकि हम उसका भी गुणगान कर सके। अनिरूद्ध सिंह 2001 में उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे और इस समय वे डीएसपी के पद पर कार्यरत हैं। इन्हें तो जनपद का कप्तान बनाया जाना चाहिए। कप्तान ही क्यों इन्हें तो एसएसपी बनाया जाना चाहिए। ऐसे कर्तव्यपरायण पुलिस वाले को हमारा नमन।