-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़), पत्रकार,देहरादून
देहरादून का प्रतिष्ठित सिद्ध धाम यानी सागर गिरि आश्रम धाम कुछ कथित जिम्मेदारों की अनैतिक सोच के चलते दुराचार का अड्डा बनता जा रहा है। हालाँकि, पूज्य अनुपमा नंद गिरि महाराज और पूज्य व्यास शिवोहम बाबा के पूज्य पदार्पण के बाद सागर गिरि आश्रम की गरिमा बढ़ रही है और श्रद्धालुओं में फिर से सागर गिरि आश्रम के प्रति श्रद्धा का संचार होने लगा है। परन्तु इसी पवित्र धाम में एक कथित ब्रह्मचारी के रहते एक मायने में आश्रम की दुर्दशा भी हो रही है। इस दुर्दशा का फिलहाल एक उदाहरण यहाँ प्रमाण के रूप में दिया जा रहा है। इसी आश्रम में दिव्य माता काली भी विराजमान है। जिनके प्रति लोगों की अपार श्रद्धा है। काली माता की मूर्ति के आस-पास गंदगी को देखकर बहुत पीड़ा होती है। कोई भी श्रद्धालु माता काली के इस अपमान पर रोष प्रकट किए बिना नहीं रह सकता है। यही नहीं, माता काली के कक्ष में आटा, दाल, चावल पड़ा-पड़ा सड़ रहा है और दुर्गंध मार रहा है। श्रद्धालुओं के द्वारा इस भेंट किए इस प्रसाद में कीड़े पड़ चुके हैं। किन्तु कथित ब्रह्मचारी न तो किसी को सफाई करने दे रहा है और न ही खुद सफाई कर रहा है। जब एक श्रद्धालु ने कथित ब्रह्मचारी से सफाई करने की आज्ञा मांगी तो उसका कहना था जो जैसा है उसे वैसा रहने दो। इस कथित ब्रह्मचारी का दावा है कि वह सागर गिरि आश्रम का प्रबंधक है और उसकी आज्ञा के बिना तो काली माता के कक्ष की सफाई भी संभव नहीं है। पाठको, जरा सोच कर बताइए कि किसी ऐसे पवित्र आश्रम का ऐसा प्रबंधक कही अन्य जगह संभव है? यह कथित ब्रह्मचारी मंदिर में आए चढ़ावे को शेयर मार्केट में लगाता है। अगर किसी को सत्य की जाँच करनी है तो ऐसा व्यक्ति स्वयं पड़ताल कर सकता है। लेखक अच्छी तरह से जानता है कि यहाँ किए जा रहे दावे सही है। जिसे सागर गिरि आश्रम की सच्चाई जाननी है वह जाँच के लिए आगे आ सकता है। अगर जाँच के बाद ये दावे गलत पाए जाते हैं तो लेखक कोई भी सजा स्वीकार करने को तैयार है। मगर, निष्पक्ष जाँच तो हो। निष्पक्ष जाँच के बाद इस कथित ब्रह्मचारी की असलियत सामने आ जाएगी। यह कथित ब्रह्मचारी आश्रम में होने वाली किसी भी धार्मिक और अध्यात्मिक गतिविधि का विरोध करता है। जब से पूज्य अनुपमा नंद गिरि महाराज और उनके साथी व्यास जी के चरण आश्रम में पड़े है तब से आश्रम में धार्मिक क्रिया-कलाप हो रहे हैं और श्रद्धालु इन धार्मिक गतिविधियों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। अब तो अनुपमा नंद गिरि महाराज ने गऊ माता की भी आश्रम में उपस्थिति दर्ज करा दी है। विदित रहे कि परम पूज्य ब्रह्मलीन श्री 1008 सागर गिरि महाराज जूना अखाड़ा परम्परा के साधू रहे हैं। वे उच्च कोटि के सिद्ध योगी थे। वे इस आश्रम में धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया करते थे। उनकी इसी महान परम्परा को अनुपमा नंद महाराज आगे बढ़ा रहे हैं ताकि आश्रम की महत्ता बनी रहे। किन्तु अगर इसी आश्रम के अंदर इसी तरह देवी-देवताओं का घोर अपमान होता रहा तो एक दिन यह आश्रम केवल एक साधारण मंदिर बनकर रह जाएगा और यहाँ की लगभग 5 बीघा जमीन को भूमाफिया हड़प लेंगे। श्रद्धालुओं से अपेक्षा है कि इस पुण्य भूमि की रक्षा के लिए आगे आएं। पर्दे के पीछे छिपे रहने से काम नहीं चलेगा। सदाचार के काम में डर कैसा?