ठुकराए गए हिन्दू फिर वापस लौटे
साभार-नेशनल वार्ता ब्यूरो
हिन्दू का वर्तमान डगमग है। हिन्दू का भविष्य क्या होगा। पाकिस्तान से भारत आए हिन्दुओं के 800 परिवार दर-दर की ठोकरें खाने के बाद वापस पाकिस्तान लौट गए। पाकिस्तान को पाकिस्तान कहना मुनासिब नहीं। इसे तो जिहादिस्तान कहना तर्क संगत है। हिन्दुओं के 800 परिवार जो जिहादिस्तान में नर्क जैसा जीवन जीने को मजबूर थे। वे कुछ साल पहले भारत आए। उनके मन में आस थी कि हिन्दू होने के नाते उन्हें भारत स्वीकार कर लेगा। किन्तु भारत ने उन्हें ठुकरा दिया। लिहाजा, वे मायूस होकर जिहादिस्तान लौट चुके हैं। बांग्लादेश और म्यानमार से आने वाले मुसलमान भारत में जगह-जगह बसते आए हैं। जो पश्चिम बंगाल, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और यहाँ तक कि दिल्ली में अपने पाँव जमा चुके हैं। वे गैर कानूनी ढंग से जगह-जगह बस चुके हैं। वे सुरक्षित रह कर यहाँ हिन्दुओं के खिलाफ जिहाद तक छेड़े हुए हैं। उन्हें केजरीवाल और अमानुत्तुलाओं सहित ममता बनर्जी, अखिलेश यादव जैसे तमाम नेता बचाने के लिए आगे आते हैं। उनके गैर कानूनी ठिकानों को गिराने के लिए जब बुल्डोजर निकलता है तब ये लोग बुल्डोजर के आगे लेट जाते हैं। उन्हें बचा लेते हैं। भारत में गैर कानूनी ढंग से रह रहे मुसलमानों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट तक आगे आ जाता है। वाकई, मुसलमान होना कितना फायदेमंद है। भारत सरकार की तमाम योजनाओं का फायदा ज्यादातर मुसलमान ही उठा रहे हैं। जिनमें से ज्यादातर मुसलमान तो बाहरी मुल्कों से गैर कानूनी ढंग से आए हुए हैं। अमानुतुल्लाओं, केजरीवालों, ममताओं, राहुलुओं और अखिलेशों ने बाहर से आए मुसलमानोें के राशन कार्ड बनवा दिए हैं। वे हिन्दुओं के खिलाफ बेझिझक जिहाद कर रहे हैं। कोई जाँच करने वाला नहीं। कोई उनके खिलाफ उँगली उठाने वाला नहीं। जब कि हिन्दुओ पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं। उनको अहसास दिलाया जा रहा है कि सुल्तानों और मुगलों के काल में रहना सीखो। क्योंकि यही सैक्युलरिज्म है। भारत की सैक्युलर सरकारें 800 हिन्दू परिवारों को हिन्दू घोषित नहीं कर पायी। उन्हें अपने पुरखों के देश में शरण देने की वकालत किसी ने नहीं की। वह मोदी सरकार जिसका दुनिया में डंका बज रहा है, वह भी इन हिन्दू परिवारों को अपना नहीं सकी। क्या गुजरी होगी उन 800 परिवारों के हिन्दुओं पर। दुनिया में क्या संदेश गया होगा। जिहादियोें और खालिस्तानियों का सीना कितना चौड़ा हो गया होगा। कोई मुश्किल नहीं था उन 800 परिवारों को भारत में बसाना। वे इस्लामी देश जिहादिस्तान से त्रस्त होकर यहाँ शरण लेने आए थे। उन्हें लगा था कि भारत सरकार उनके जख्मों की गहराई को नाप लेगी। इस देश में वही हो रहा है जो जिहादी और खालिस्तानी चाहते हैं। क्या ऐसे हालातों में भारत का हिन्दू 50 सालों बाद बहुसंख्यक रह पाएगा। क्या भारत 47 में टूटने के बाद जिन्दा रह पाएगा। क्या फायदा मोदी की दिन रात की मेहनत का। जब मलाई जिहादी और खालिस्तान ही खाएंगे। उल्टा हिन्दुओं को गाली भी देंगे। एक बार महात्मा गाँधी ने कहा था हिन्दू डरपोक होता और मुसलमान दंगाई। तब महात्मा गाँधी समझदार थे। बाद में तो वे राष्ट्र पिता बन गए। जिनकी नजरों में जिहाद कोई मायने नहीं रखता था। उनके लिए तो जिहादिस्तान और भारत बराबर थे। महात्माओं की तो यही सोच होती है। वे यथार्थ से कोसों दूर होते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने ठीक ही कहा है कि केन्द्र सरकार के लिए हिन्दुओं का जिहादिस्तान लौटना शर्म की बात है। हालाँकि, हिन्दुओं का जिहादिस्तान लौटना भारत के सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार दोनों के लिए महा शर्म की बात है। जब हिन्दू ही धरती पर नहीं बचेगा तो संविधान को चाटोगे क्या। -वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून