सुप्रीम कोर्ट और देशहित
साभार-नेशनल वार्ता ब्यूरो
जहाँगीरपुरी में बुल्डोजर लय ताल में आया ही था कि सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर के इंजन की चाबी अपने पास रख ली। अतिक्रमण तो अतिक्रमण होता है। अतिक्रमण में अमीर गरीब, ऊँच नीच और मजहब धर्म नहीं देखा जाता है। बुल्डोजर पुराण इन बातों को नहीं मानता। बुल्डोजर आक्रमण करना जानता है अतिक्रमण पर। यही, बुल्डोजर जहाँगीरपुरी में कर रहा था। यह वही जहाँगीरपुरी है जिसके लोगों ने खुद को शहंशाह जहाँगीर समझते हुए श्रीराम और हनुमान पर पत्थर दागे। वैसे ही जहाँगीर के अनुयायी मूर्तियों पर पत्थर बरसाते आये हैं। मूर्ति पूजने वालों को बुतपरस्त कहते आए हैं। ये लोग बुत की पूजा करने वालों को कुफ्र फैलाने वाले कहते आए हैं। न जाने सुप्रीम कोर्ट को इन भयानक सच्चाइयों का ज्ञान है या नहीं। 1400 सालों से भारत की भूमि पर बुतों पर अत्याचार हो रहे हैं। बुत की पूजा करने वाले ठोके जाते रहे हैं। सीधी सी बात है कि जहाँ महान कौम के लोग अधिसंख्य हो जाएं वहाँ हिन्दुओं को शोभा यात्राएं नहीं निकालनी चाहिए। उनके खुदा का भरपूर सम्मान किया जाना चाहिए। खुदा से बड़ा भला धरती पर कौन है। खुदा ने ही तो धरती को बनाया है। वो अलग बात है कि खुदा की उम्र 1400 साल है और धरती की उम्र लाखों साल है। खैर, जब वे अपने अलावा किसी को सच नहीं मानते और अतिक्रमण को अपना अधिकार मानते हैं तो सुप्रीम कोर्ट को बुल्डोजर चलाने वालों को आदेश देना चाहिए कि जिनकी दुकाने और आशियाने तोड़े गए है उनको मुआवजा दो। वामपंथी वीरांगना वृंदा करात जिनके माथे पर बड़ी भारी बिन्दिया चमकती है और शरीर पर सोनिया गाँधी की तरह धोती विराजती है उन्हें परम पूज्यनीय मानते हुए सुप्रीम कोर्ट को बुल्डोजर चलाने वालों को मुआवजे के लिए कहना चाहिए। वृंदा करात केवल इन दो चीजों से भारतीय हैं बाकी तो वे मूलरूप से शहरी नक्सल हैं। वामपंथ तो वेदों से ऊपर है। हिन्दू तो किसी गिनती में नहीं आता। जिन मुसलमानों को जहाँगीरपुरी में बुल्डोजर की चोट सहनी पड़ी है उन्हें भरपूर मुआवजा जरूर मिलना चाहिए और दिल्ली एमसीडी को कड़ी फटकार लगनी चाहिए। दिल्ली पर जितना हक हिन्दू का है उससे कहीं ज्यादा हक पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों का है। पूरा सच तो ये है म्यांनमार से भगाए जा रहे रोहिग्या मुसलमानों का हक भारत के चप्पे-चप्पे पर है। इसी तरह तो भारत में मुसलमानों की तादाद बढ़ाई जा रही है और सपा, बसपा, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना, टीएमसी, डीएमके और न जाने कौन-कौन पार्टियाँ मुसलमानों को पलकों पर बैठाती हैं। दिमाग खराब तो भाजपा का है जो सुबह शाम रटती रहती है कि हमारे लिए सब बराबर हैं। ऐसी ही सोच तो दिल्ली अजमेर के महाराजा पृथ्वीराज चौहान की भी थी। तभी तो उसकी दुर्गति हुई थी और देश में आक्रांता मुसलमानों के नापाक कदम पड़े थे। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून