नरेंद्र मोदी एवं डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में दो अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों का दौरा
बराक ओबामा हैं भारत का दो बार दौरा करने वाले विश्व महाशक्ति के अकेले राष्ट्रपति
आर्थिक उदारीकरण के बाद अमेरिका की बढ़ी भारत में दिलचस्पी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप भारत की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंच गए हैं। हिंदुस्तान का दौरा करने वाले वो विश्व महाशक्ति के छठे राष्ट्राध्यक्ष हैं। इस कड़ी में आजादी के बाद, आइजनहावर देश का दौरा करने वाले पहले राष्ट्रपति थे। वहीं, बराक ओबामा अमेरिका के इकलौते राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने दो बार भारत का दौरा किया।
पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी देश के वो प्रधानमंत्री हैं, जिनके कार्यकाल में अमेरिका के राष्ट्रपतियों ने इंडिया का दौरा किया। इनमें भी मनमोहन और मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनके पद पर रहते हुए, अमेरिका के एक नहीं बल्कि दो-दो राष्ट्राध्यक्ष देश में आए।
पहले डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा भारत आए। वहीं अब मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए पहले ओबामा और अब डोनाल्ड ट्रंप इंडिया की ऑफिशियल विजिट पर आए हैं। जो भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद वैश्विक स्तर पर देश की बढ़ती भूमिका पर मुहर लगाने को काफी है।
भारत का दौरा करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति:
ड्वाइट आइजनहावर – भारत के एक गणतंत्र के रूप में स्थापित होने के बाद डी आइजनहावर देश का दौरा करने वाले पहले अमेरिकन प्रेसिडेंट थे। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहते 1959 में दौरा किया था। उस दौरान आइजनहावर ने ना सिर्फ आगरा में ‘ताजमहल’ के दीदार किए बल्कि दिल्ली के रामलीला मैदान में एक सभा को संबोधित भी किया।
रिचर्ड निक्सन – आइजनहावर के दौरे के एक दशक बाद 1969 में रिचर्ड निक्सन भारत आए। निक्सन ने अपने एशिया के दौरे के तहत हिंदुस्तान का दौरा किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से तल्खी के बीच वो करीब 22 घंटे ही रुके थे। कहने की जरूरत नहीं है कि उसके बाद 1971 में हुए ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम’ में रिचर्ड निक्सन ने पाकिस्तान के कंधे पर हाथ रखा था।
जिम्मी कार्टर -अमेरिका के राष्ट्रपति रहते कार्टर 1978 में भारत आए थे। उन्होंने मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार के कार्यकाल में दौरा किया। जिम्मी कार्टर ने उस दौरान दिल्ली के करीबी एक गांव का दौरा किया था। जिसके बाद उसका नाम ही कार्टरपुरी पड़ गया।
बिल क्लिंटन – कार्टर के दौरे के करीब दो दशक बाद, बिल क्लिंटन साल 2000 में भारत आए। उस वक्त देश में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA सरकार थी। कहा जा सकता है कि क्लिंटन ने ‘दो ध्रुवीय दुनिया’ में रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाते हुए, भारत के साथ नए कूटनीतिक और व्यावसायिक संबंधों की बुनियाद रखी।
जॉर्ज डब्ल्यू बुश – क्लिंटन के दौरे के बमुश्किल 6 साल बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश इंडिया आए थे। उस वक्त देश में कांग्रेस के डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार थी। कूटनीति से इतर बुश का वह दौरा भारत के लिए बेहद अहम था। दरअसल, उस दौरे में ही भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार को अंतिम रूप दिया गया था। जिसके बाद इंडिया की ऊर्जा समेत अन्य जरूरतों के पूरा होने के नए रास्ते खुल गए। कहने की जरूरत नहीं है इस करार के लिए मनमोहन ने लोकसभा में अपनी सरकार दांव पर लगाई, क्यूंकि वामपंथियों ने इस मुद्दे पर उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
बराक ओबामा – दरअसल, ओबामा वैश्विक महाशक्ति अमेरिका के इकलौते राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने भारत का दो बार आधिकारिक दौरा किया। बराक पहली बार डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में साल 2010 में भारत आए थे ।
डोनाल्ड ट्रंप – फिर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते 2015 में गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इसी कड़ी में अब डोनाल्ड ट्रंप भारत की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे।
आर्थिक उदारीकरण के बाद अमेरिका की बढ़ी भारत में दिलचस्पी:
पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 90 के दशक में भारत में ऐतिहासिक रूप से आर्थिक सुधार शुरू किए। जिसके सूूत्रधार उनकी सरकार में वित्त मंत्री रहे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह को जाता है। हालांकि राव के कार्यकाल में अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने भारत का आधिकारिक दौरा नहीं किया था। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद वैश्विक स्तर पर देश की बढ़ती भूमिका बढ़ती गई। जिसका फायदा उनके बाद प्रधानमंत्री बने भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी को मिला। उनके कार्यकाल में बिल क्लिंटन ने बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति दो दशक बाद देश का दौरा किया था। ये भारत की बाजार की ताकत ही है कि ट्रंप समेत अमेरिका के पिछले चारों राष्ट्रपति नियमित रूप से देश के दौरे पर आए हैं।