Uttarakhand DIPR

Tuesday, October 3, 2023

Uttarakhand DIPR

महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार का आतंक

नवनीत राणा और रवि राणा की गैर कानूनी हिरासत
नेशनल वार्ता ब्यूरो
जब 23 अप्रैल की शाम लगभग 4 बजे राणा दम्पत्ति ने यह घोषणा कर दी थी कि अब वे मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने का निर्णय वापस ले रहे हैं तो लगभग एक घंटे बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार क्यों किया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया जो शिव सैनिक सुबह से राणा दम्पत्ति के घर को गैर कानूनी ढंग से घेर कर खड़े थे और लगातार नारेबाजी कर रहे थे। यही नहीं इन नारेबाजों ने पुलिस के साथ धक्का मुक्की भी की और बेरिकेट्स तोड़कर फेंक दिए थे। क्या किसी शिवसेना को जनप्रतिनिधियों का घर घेरने का अधिकार है। क्या किसी शिवसेना को राणा दम्पत्ति को आठ घंटे बंधक बनाने का अधिकार है। क्या यह खुल्लम खुल्ला गुंडागर्दी नहीं है। निराधार धाराएं लगाकर उन्हें कल रात पुलिस कस्टडी में रखा गया और कोर्ट से सांठगांठ कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इतने दिनों की न्यायिक हिरासत तो कोर्ट जिहादी आतंकियों के लिए तक आसानी से नहीं देता है। ये कैसे फैसले हो रहे हैं। उन्होंने कौन सा दंगा किया। अरे, दंगा तो शिवसेना ने किया। शोर शराबा और फसाद तो शिवसेना ने मातोश्री के सामने किया और राणा दम्पत्ति के घर के आगे भी किया। केस तो संजय राउत के खिलाफ दायर होना चाहिए था। जो कह रहा था कि ऐसे बन्टी बबलियों को बीस फीट जमीन में गाड़ देंगे। ये कैसा अन्याय है जिसमें कोर्ट को भी शामिल कर लिया गया है। यही अन्याय अर्नब गोस्वामी के खिलाफ भी किया गया था। तुम्हारे दो मंत्री जिहादी नवाब मलिक और वसूली गैंग का सरगना पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख जेल में हैं। इनके कुकर्मों का गुस्सा राणा दम्पत्ति पर निकालोगे क्या। अपनी देशद्रोही हरकतों से बाज आओगे क्या। एन्टोनो मायनों और शरद पंवार की शागिर्दी में यही सीख रहे होे क्या। क्या हनुमान चालीसा का पठन करना और श्रीराम की भक्ति करना पश्चिम बंगाल की तरह अपराध घोषित कर दिया गया है। राणा दम्पत्ति के साथ घोर अन्याय हो रहा है। उन पर देशद्रोह की धारा लगाना संविधान पर कुठाराघात है। उच्च न्यायालय को या उच्चत्तम न्यायालय को तानाशाह बनी महा अघाड़ी सरकार को लताड़ लगानी चाहिए और कोर्ट से पूछना चाहिए कि दो सम्मानित जनप्रतिनिधियों पर केवल आशंका के आधार पर ऐसी प्रताड़ना क्यों की गई। कानून की धज्जियाँ क्यों उड़ाई गई। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,878FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles