Tuesday, April 16, 2024

Yogi Aditya Nath leads the poll war

योगी आदित्यनाथ बनेंगे अब असली विधायक 

 -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून-

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ पलों में गोरखपुर सदर से अपना नामाकंन पर्चा भर चुके होंगे। वे विधान परिषद के सदस्य की हैसियत से मुख्यमंत्री बने थे। अब वे विधानसभा के सदस्य की हैसियत से मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। उनके मुख्यमंत्री बने रहने पर कोई शंका नहीं। उनके धुर विरोधी भी यह तथ्य अच्छी तरह जानते हैं कि वे चाहे जमीन आसमान एक कर दें फिर भी आदित्यनाथ का सिंहासन अक्षुण्य रहने वाला है। हाँ, वे हार के अन्तर को कुछ हद तक अपने लिए सम्मान जनक करने का जतन अवश्य कर रहे हैं। लोकतंत्र में उनको ऐसा करने का हक है। उत्तर प्रदेश की गरीब जनता अच्छी तरह यह भी जानती है कि योगी जी ने पूरे साढ़े चार साल उनका भरपूर ध्यान रखा है। स्वास्थ्य के मामले में अच्छे प्रयास किए गये हैं। अन्न जल मकान का जितना ध्यान योगी सरकार ने रखा उतना ध्यान कभी किसी ने नहीं दिया। इस बार प्रदेश की नारी शक्ति के हाथ में असली ताकत है। यह मानकर चला जा सकता है कि प्रदेश की नारी शक्ति योगी जी को सम्मान देगी। युवा भी अब तक यह समझ चुके होंगे कि प्रदेश में रोजगार के अवसरों का तेजी से सृजन हो रहा है। युवा रोजगार सृजन की रफ़्तार को बनाये रखना चाहेंगे। प्रदेश के वे तत्व जो गैरकानूनी धंधों में खपे रहते हैं। जिन्हे व्यवस्था में कोई रूचि नहीं होती है। वे यकीनन योगी जी के विरोधियों का जी-जान से साथ दे रहे हैं। जहाँ तक प्रश्न उत्तर प्रदेश के समाजवाद का है, यह केवल नाम का समाजवाद है। काम तो इनके सदैव समाजविरोधी रहे हैं। पंजाब में वे शक्तियाँ हावी हैं जो अलगाववाद और क्षेत्रवाद को अपना धर्म मानती है। ये शक्तियाँ उस आदमी को मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगी जो अलगाववाद और क्षेत्रवाद को हवा दे सके। ऐसे दल खूब वोट बटोरेंगे। वे राजनीतिक दल जो दिल्ली, हरियाणा और उत्तरप्रदेश की सीमा पर रसद पहुँचाने का काम कर रहे थे उन्हें पंजाब में एकमुश्त वोट मिलने वाले है। सबसे अधिक सीटे शायद झाड़ू वालों को ही मिले क्योंकि वे दिल्ली की सीमा पर रोज सुबह झाड़ू लगाने आते थे ताकि जमावड़ा वहाँ जमा रहे और मोदी विरोध की आग सुलगती रहे। अब रहा सवाल उत्तराखण्ड का। यहाँ झाड़ू की सीकें अभी आड़ी तिरछी हैं। केजरीवाल के सुनहरे वादे अभी यहाँ अपना असर नहीं दिखाने वाले। यहाँ बदलाव होने के आसार न के बराबर हैं। इस राज्य में किसी तरह का अलगाववाद भी नहीं है और यहाँ के लोगों को मौजूदा प्रधानमंत्री के दमखम पर पूरा भरोसा है। उत्तरप्रदेश में मुलायम जी की छोटी बहू अर्पणा यादव अपने ससुर से आशीर्वाद प्राप्त कर ही चुकी हैं। यहाँ उत्तराखण्ड में जनता ऐन वक्त पर नेतृत्व में किए गए बदलाव से संतुष्ट नजर आ रहे हैं और पुष्कर सिंह धामी को ही आशीर्वाद देने की तैयारी में हैं।

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