Friday, April 19, 2024

विष्णु शंकर जैन की जय हो

-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून
विष्णु शंकर जैन और इनके पिताश्री पूज्य हैं हमारे लिए। ये दोनों पिता पुत्र जिस लगन से भोले शंकर की मर्यादा को बनाए रखने का संकल्प ठाने हुए हैं। यह इनकी महानता का प्रमाण है। ये दोनों पिता पुत्र धन के लिए वकालत नहीं कर रहे हैं। ये दोनों भारत वर्ष की सनातन परम्परा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ये दोनों पिता पुत्र भगवान शंकर के लिए वकालत कर रहे हैं। जब हर दूसरे हिन्दू में अपने हक को पाने के लिए यही जुझरूपन होगा तभी हिन्दू का अस्तित्व बच पाएगा। अन्यथा, हिन्दू फिर ठोकर खाएगा। आने वाले 50 साल से पहले देश एक बार फिर टूटेगा। सफलता का श्रेय जिहाद को जाएगा। जिहाद देश बनाता है। जिहाद देश निगलता है। किन्तु हिन्दू नहीं समझता है। हिन्दू आज भी कहता है कि 1947 मेें देश बँटा। यह हिन्दू की मानसिक बदहाली का सबूत है। देश जैन कुटुम्ब का सदैव आभारी रहेगा। झुग्गीवाला जैन कुटुम्ब के सामने नत मस्तक है। जो भी देश की अखण्डता के लिए पैरवी करेगा। झुग्गीवाला उसके सामने नत मस्तक रहेगा। अगर हम गौर से देखें तो आज भी सल्तनत काल और मुगल काल वाली आबोहवा चल रही है। मुस्लिम पक्ष का वकील कोई मुसलमान नहीं एक हिन्दू है। श्री राम के खिलाफ भी हिन्दू वकील ही छाती ताने खड़े थे। मुस्लिम वकील तो गिने चुने थे। आज भी अकबर का ही राज चल रहा है और हिन्दू राजा मानसिंह, टोडरमल और वीरबल की भूमिका में है। आज भी कुछ नहीं बदला है। बड़ी-बड़ी अदालतें तो क्या छोटी-छोटी अदालतें भी जिहादियों की पक्षधर हैं। अदालतें जिहाद को मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं। यह स्थिति बहुत भयावह है। हिन्दू के खिलाफ मौलवी कितना भी जहर उगल दें। किसी को कोई तकलीफ नहीं। कोई हिन्दू धर्मगुरू गलती से भी मुसलमानों के खिलाफ कुछ बोल दे तो उसके हाथों में हथकड़ियाँ पड़ जाती हैं। यही हैं सल्तनत काल के लक्षण। आज भी अलाउद्दीन खिलजी और टीपू सुल्तान जिंदा हैं। आज भी ये लोग मुल्ले-मौलवियों और काजियों के शरीरों में घुसे हुए हैं। 1400 सालों से चल रहा जिहाद फलफूल रहा है। भारत में जिहाद की फसलें लहलहा रही हैं और हमारे नेताओं और जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। ये लोग अपने धंधों में व्यस्त हैं। औरंगजेब का समय चल रहा है। रामनवमी का जुलूस निकालना अपराध है। दुर्गा विसर्जन के निकलना अपराध है। बजरंगबली की आराधना करना अपराध है। फिर भी लोकतंत्र जिन्दाबाद है। सैक्युलरिज्म आबाद है। खैर, जैन परिवार की कृपा से और ऐसे ही लोगों की मेहनत से यह देश जिन्दा है। अदालतें ज्ञानवापी के मामले में क्या फैसला लेती हैं, यह शायद इनका अधिकार हो मगर एक ना एक दिन ज्ञानवापी हिन्दुओं की होकर रहेगी। धरती की कोई ताकत ऐसा होने से नहीं रोक सकेगी। अंत में, जैन कुटुम्ब और इनके साथियों को दंडवत नमन्।

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